Karnataka Rain: कर्नाटक में इस वर्ष सामान्य से 150 प्रतिशत अधिक प्री-मानसून बारिश ने तबाही मचा दी है। अब तक 67 लोगों की जान जा चुकी है और 2,252 गांव बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार, 30 मई को बुलाई गई समीक्षा बैठक के दौरान साझा किया था।
आमतौर पर मार्च से मई के बीच प्री-मानसून के दौरान कर्नाटक में औसतन 108 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल 29 मई तक राज्य में 270 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। यह सामान्य से लगभग 150% अधिक है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के सभी 31 जिलों में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई है। मई महीने की बारिश बीते 125 वर्षों में सर्वाधिक है।
हजारों मकान क्षतिग्रस्त, राहत के लिए पर्याप्त फंड
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारी बारिश से अब तक 1,702 मकानों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि राहत कार्यों के लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, मकानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) में 1,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध है।
सिद्धारमैया ने यह भी घोषणा की कि जिन परिवारों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1.25 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके साथ ही, ऐसे परिवारों के लिए नए मकान भी बनवाए जाएंगे। इसके लिए जिलाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
ग्राम पंचायत स्तर पर आपदा नियंत्रण टास्क फोर्स गठित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ग्राम पंचायत स्तर पर प्राकृतिक आपदा राहत कार्यों के लिए टास्क फोर्स गठित की गई है। उन्होंने अधिकारियों से सामंजस्य में काम करने और समय रहते एहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया।
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों और ज़िला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और राहत कार्यों की निगरानी करने के निर्देश दिए। साथ ही झीलों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने में सुस्ती बरतने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बैठक में निर्देश दिए गए थे कि राज्य की सभी झीलों का सर्वेक्षण कर अतिक्रमण चिन्हित किया जाए, लेकिन अब तक इस दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है।
कर्नाटक में कुल 41,849 झीलें हैं, जिनमें से 14,533 झीलें अतिक्रमण की चपेट में हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि अगर अतिक्रमण हटाए जाएं, तो जल निकासी की व्यवस्था बेहतर हो सकती है और बाढ़ का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।