प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले के सिलसिले में 100 करोड़ रुपये के अनुमानित 92 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कुर्की 9 जून को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई। ईडी के अनुसार, विचाराधीन संपत्तियों में MUDA स्थल शामिल हैं, जो आवास सहकारी समितियों और ऐसे व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं, जो मुडा के अधिकारियों सहित प्रभावशाली व्यक्तियों के मुखौटे या दलाल बताए जाते हैं।

ईडी की ये कार्रवाई मैसूर में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर शुरू की गई जांच के बाद हुई है। एफआईआर में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। ईडी की जांच में MUDA साइटों के आवंटन से जुड़े बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। एजेंसी का दावा है कि फर्जी आवंटन के लिए वैधानिक प्रावधानों और सरकारी आदेशों या दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया। इसने आगे कहा कि जीटी दिनेश कुमार सहित पूर्व मुडा आयुक्तों की भूमिका उन व्यक्तियों और संस्थाओं को मुआवजा साइटों के अवैध आवंटन के लिए केंद्रीय के रूप में सामने आई है जो अयोग्य थे। जांच जारी है।

क्या है MUDA स्कैम?

कर्नाटक का मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि घोटाला एक बार फिर चर्चा में है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उस याचिका को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्होंने राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी थी। कर्नाटक के राज्यपाल ने 17 अगस्त को मुडा भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। 

सबसे पहले जानिए, आखिर मुडा क्या है?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है। 

कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है?

मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। 

सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। 

विपक्ष अनियमितता के क्या आरोप लगा रहा है?

आरोप है कि विजयनगर में जो साइटें आवंटित की गई हैं उनका बाजार मूल्य केसारे में मूल भूमि से काफी अधिक है। विपक्ष ने अब मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि 2021 में भाजपा शासन के दौरान ही विजयनगर में सीएम की पत्नी पार्वती को नई साइट आवंटित की गई थी।