मैसूरः कर्नाटक में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। राज्यपाल ने शनिवार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लगे मुडा घोटाले के आरोपों की जांच के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी। यह मंजूरी मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) से जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में दी गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन आरोपों का खंडन किया है और उन्होंने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने की संभावना जताई है
राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने ‘मुडा घोटाला’ उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता टीजे अब्राहम को शनिवार शाम 3 बजे राजभवन में मिलने के लिए बुलाया है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी जरूरी होती है।
कांग्रेस का कड़ा रुख
कांग्रेस ने इन आरोपों को बीजेपी द्वारा कर्नाटक सरकार को निशाना बनाने की साजिश करार दिया है और सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की मंजूरी के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध का आह्वान किया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री से बात की है और उन्हें बताया है कि पार्टी हाई कमान उनके साथ मजबूती से खड़ी है।
खबरों की मानें तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी राज्य मंत्रिमंडल से कहा है कि वे मुख्यमंत्री के साथ मिलकर इस मुद्दे से लड़ें। पार्टी ने कर्नाटक इकाई को मुकदमे के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध शुरू करने का भी निर्देश दिया है।
क्या सिद्धारमैया पर मुडा घोटाले का आरोप?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती सिद्धारमैया के नाम पर 50:50 योजना के तहत भूमि के मुआवजे में अनियमितता के आरोप हैं।
साल 2021 में, मुडा ने विकास के लिए मैसूर के केसारे गांव में पार्वती सिद्धारमैया के 3 एकड़ के प्लॉट का अधिग्रहण किया था। यह जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने गिफ्ट के तौर पर दी थी। इस जमीन के बदले में, उन्हें दक्षिण मैसूर के अपस्केल विजयनगर क्षेत्र में महंगे प्लॉट आवंटित किए गए। दावों के अनुसार, विजयनगर प्लॉट का बाजार मूल्य केसारे में उनकी मूल भूमि की तुलना में काफी अधिक है।
विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती सिद्धारमैया को इन अनियमितताओं से लाभ हुआ। इन आरोपों पर मुख्यमंत्री का कहना है कि यह आवंटन 2021 में भाजपा के सरकार के दौरान हुआ था।
अभियोग में कहा गया है कि सिद्धारमैया ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव के हलफनामे में अपनी पत्नी की इस जमीन की मालिकाना हक की जानकारी छुपाई।
आरोप लगाया गया है कि हलफनामे में जमीन का विवरण शामिल न करना ‘उनकी पूर्ण जानकारी में था और स्पष्ट रूप से कुछ गलत इरादों के साथ था’ और सिद्धारमैया के खिलाफ प्रतिनिधित्व के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 125A और धारा 8 के तहत कानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई। इसमें भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन भी बताया गया है।
राज्यपाल ने मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था
राज्यपाल ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कथित घोटाले पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इससे पहले उन्होंने मुख्य सचिव से भी जानकारी मांगी थी।
वहीं, अगस्त के पहले हफ्ते में, अब्राहम ने मुडा के आयुक्त को एक ज्ञापन दायर किया, जिसमें मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती को दिए गए मुआवजे वाली साइटों को रद्द करने और वापस लेने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि जमीन आवंटित करने में विभिन्न चरणों में अवैध हेरफेर और भ्रष्ट कदम उठाए गए थे।
कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्ण द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ जन प्रतिनिधियों की अदालत में एक निजी आपराधिक शिकायत (पीसीआर) भी दायर की गई थी। पीसीआर में मुख्यमंत्री पर अपनी पारिवारिक संपत्ति के रूप में मुडा की जमीन का दावा करने के लिए दस्तावेजों को फर्जी बनाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। इसके लिए भी मुकदमा चलाने की राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता है।
आरोपों को खारिज करते रहे हैं सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बार-बार जमीन घोटाले के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह और कांग्रेस पार्टी कानूनी और राजनीतिक रूप से इनका मुकाबला करेंगे। उनके अनुसार, उनकी पत्नी को जमीन का आवंटन सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए पूरा किया गया था।
विपक्षी दलों द्वारा ‘घोटाले’ को लेकर किए जा रहे विरोध मार्च पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा, “मैं नहीं झुकूंगा, भले ही भाजपा और जद (एस) कितने भी बुरे इरादों से पदयात्रा करें।”
सिद्धारमैया ने कहा कि “मैंने इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद कभी संपत्ति जमा करने की कोशिश नहीं की है। मेरी पत्नी ने एक भी सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग नहीं लिया, यहां तक कि मेरे शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं। लोगों ने मुझे बिना एक पैसा खर्च किए नौ बार चुना है।”