हैदराबाद: तेलंगाना हाईकोर्ट ने कंचा गाचीबौली इलाके में जंगल काटे जाने के मामले में सोमवार को सुनवाई टाल दी। वन विभाग ने कोर्ट से कहा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से बनाई गई झूठी तस्वीरें फैलाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इन तस्वीरों में मोर और हिरणों को डर के मारे भागते हुए दिखाया गया है। विभाग ने अदालत से आग्रह किया है कि इसकी जांच करने का निर्देश दे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति रेणुका यारा की पीठ ने राज्य सरकार, राजस्व विभाग, वन विभाग और पुलिस विभाग को 24 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ये मामला उस इलाके से जुड़ा है जहां राज्य सरकार सर्वे नंबर 25 के 400 एकड़ वन क्षेत्र पर आईटी हब बनाने की योजना पर काम कर रही है। वाटा फाउंडेशन, हैदराबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन और अन्य ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए जंगलों को काटना गलत है। इससे पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचेगी।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है मामला, 16 अप्रैल को सुनवाई
गौरतलब है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही नाराजगी जता चुका है और पूरे परियोजना पर अस्थायी रोक लगा चुका है। सर्वोच्च अदालत 16 अप्रैल को इस मामले की अगली सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इसलिए यहां की सुनवाई टाल दी जाए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस निरंजन रेड्डी ने कोर्ट को जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सशक्त समिति को इस क्षेत्र का अध्ययन करने और रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही मुख्य सचिव को यह हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है कि क्या राज्य सरकार ने परियोजना के लिए पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन, अनिवार्य अनुमति और स्वीकृति आदि प्रक्रियाओं का पालन किया था या नहीं।
24 अप्रैल को हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
वन विभाग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरु स्वामी ने कहा कि परियोजना का विरोध कर रहे कुछ तत्वों ने AI आधारित नकली तस्वीरें बनाकर और सोशल मीडिया पर फैलाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया है। अदालत ने कहा कि सभी विभाग चाहें तो अपनी स्थिति रिपोर्ट, जवाबी हलफनामे और अन्य दस्तावेज 24 अप्रैल तक दाखिल कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई इसी दिन निर्धारित की गई है।