चेन्नईः तमिलनाडु में भाजपा और डीएमके के बीच जारी भाषा और परिसीमन विवाद में अब नेता और अभिनेता कमल हासन की एंट्री हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गैर-हिंदी राज्यों को इस भाषा को हिंदी स्वीकार करने को मजबूर कर रही है। इसके साथ ही हासन ने यह भी आरोप लगाया कि 'इंडिया को हिंदिया' में बदलने की कोशिश हो रही है।
तमिल पार्टियों के हिंदी और परिसीमन को लेकर हुई बैठक में वह बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा "केंद्र की कोशिश है कि सभी राज्य हिंदी बोलें और बहुमत से चुनाव जीतें। हमारा सपना इंडिया है.. उनका हिंदिया।" इस बैठक के बाद 'हिंदी थोपने' और परिसीमन को लेकर एक प्रस्ताव बना और उसे पीएम मोदी के पास भेजा गया।
हिंदिया कहने का पुराना संदर्भ
दरअसल हिंदिया कहने का एक पुराना संदर्भ है। साल 2019 में हिंदी दिवस के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान को चिह्नित करने वाली भाषा बताया था। शाह के इस बयान पर पलटवार करते हुए डीएमके नेता स्टालिन ने कहा था यह इंडिया है हिंदिया नहीं।
कमल हासन उन नेताओं में हैं जो दक्षिणी राज्यों पर हिंदी थोपने की चिंताओं पर मुखर रहे हैं। यह एक पुराना विवाद है जो 1960 के दशक से देखा जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान के बाद एक बार फिर यह विवाद तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
इसके बाद एमके स्टालिन ने पीएम मोदी को "ब्लैकमेल" करने के लिए पत्र लिखा था और तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि तमिलनाडु एक और भाषा युद्ध लड़ने को तैयार है।
बीते सप्ताह भी दी थी चेतावनी
इससे पहले बीते सप्ताह भी हासन ने भाषा को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि तमिल लोगों ने भाषा के जान गंवाई है। इसके साथ मत खेलो।...
अपने भाषण में कमल हासन ने परिसीमन पर रोक लगाने या वर्तमान जनसंख्या स्तर के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण की भी मांग की।
कमल हासन ने यह भी कहा कि उन्हें डर है कि "किसी भी तरह से परिसीमन किया जाए" तमिलनाडु प्रभावित होगा और गैर हिंदी राज्य प्रभावित होंगे। इससे देश के संघीय ढांचे पर प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह का आरोप सीएम स्टालिन ने भी लगाया था।