विवादों के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ली शपथ, फिलहाल नहीं मिलेगा कोई न्यायिक कार्य

न्यायाधीश वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला उस समय हुआ है, जब उनके खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच चल रही है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर नोटों की अधजली गड्डियां बरामद हुई थीं..

 जस्टिस यशवंत वर्मा, कैश मामला, जज यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे गए,

जस्टिस यशवंत वर्मा। Photograph: (IANS)

प्रयागराज: विवादों के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा ने शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद की शपथ ले ली। हालांकि उनके शपथ ग्रहण के बावजूद, अदालत सूत्रों के अनुसार उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा जाएगा।

न्यायाधीश वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला उस समय हुआ है, जब उनके खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा आदेशित इस "इन-हाउस" जांच की शुरुआत उस समय हुई जब पिछले महीने उनके आवास पर आग लगने की घटना के बाद कथित रूप से चार से पांच अधजली बोरियों में भरकर नकदी बरामद की गई।

इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस सिफारिश पर अपनी मुहर लगा दी थी। सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यभार संभालने के लिए कहा गया था। 

कॉलेजियम के फैसले पर न्यायिक समुदाय ने जताई नाराजगी

वहीं, इस प्रकरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। अधिवक्ता विकास चतुर्वेदी द्वारा दायर इस याचिका में मांग की गई थी कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक न्यायाधीश वर्मा को शपथ न दिलाई जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ने शपथग्रहण रोकने से इनकार कर दिया।

इस पूरे विवाद ने न्यायिक समुदाय की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अनिश्तिकालीन हड़ताल शुरू कर दी थी।  उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की। एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर कहा, हम कोई कचरा पेटी नहीं हैं और नियुक्ति पर गहरी चिंता व्यक्त की। वहीं वाराणसी में भी वकीलों ने इसका पुरजोर विरोध किया था।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article