मंकीपॉक्स के दुनिया भर में बढ़ते मामले, भारत इससे निपटने के लिए क्या तैयारी कर रहा है?

एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर किसी के संपर्क में आने से फैलती है। अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है। यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है। इससे शरीर में मवाद से भरे दाने भी होते हैं।

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JP Nadda called meeting on increasing case of monkeypox 2 more cases surfaced in Pakistan

एमपॉक्स (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं लोक कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने शनिवार को एक बैठक बुलाई है। यह बैठक उस समय बुलाई गई है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान में एमपॉक्स के केसों में लगातार इजाफा देखा गया है।

मध्य और पश्चिम अफ्रीका से शुरू हुई यह बीमारी अब दुनिया के अन्य देशों तक फैल रही है। यह बीमारी सबसे पहले कांगो से शुरू हुई थी जो अब स्वेडन और पाकिस्तान तक पहुंच गई है। बता दें कि पाकिस्तान एशिया का पहला देश बन गया है जहां पर इस बीमारी की पुष्टी हुई है।

इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एमपॉक्स को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। कांगो सहित 13 अफ्रीकी देश के बाद स्वीडन और अब पाकिस्तान में एमपॉक्स के मामलों के सामने आने के बाद भारत भी अलर्ट हो गया है।

केंद्र सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि मंकीपॉक्स की स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है। उधर संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य अधिकारियों से भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर घातक संक्रामक बीमारी की जांच शुरू करने का आग्रह किया ताकि इसके प्रसार को रोकने में मदद मिल सके।

भारत में मंकीपॉक्स का फिलहाल कोई मामला नहीं-केंद्र

केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि वह मंकीपॉक्स की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। साथ ही बीमारी के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए तैयारी और सावधानी के उपाय किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का कोई मामला सामने नहीं है।

बढ़ते केस के बीच सरकार ने बुलाई बैठक

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में यह फैसला लिया गया कि अत्यधिक सावधानी के तौर पर कुछ उपाय किए जाएं।

सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को संवेदनशील बनाने के साथ-साथ परीक्षण प्रयोगशालाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार किया जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित करने के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी। विश्व स्तर पर, 2022 के बाद से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 116 देशों में मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की हैं।

पाकिस्तान में लगातार आ रहे हैं मामले सामने

पिछले कुछ महीनों से अफ्रीका में इसके प्रकोप देखे गए थे जो अब यूरोपीय देश स्वीडन तक पहुंच गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा एमपॉक्स को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के बाद गुरुवार को स्वीडन में इसके मामले की पुष्टि हुई थी। इसके बाद शुक्रवार को पाकिस्तान में एमपॉक्स के तीन केस सामने आए थे।

शनिवार को भी पाकिस्तान में दो और मामलों की पुष्टि हुई है। यह सभी मामले पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा में सामने आए हैं। इस बीमारी के पाकिस्तान में फैलले से उसके पड़ोसी देश अलर्ट हो गए हैं क्योंकि यह किसी एशियाई देश में यह पहला मामला है।

मामले में इजाफा के बीच बढ़ा टीका का उत्पादन

एमपॉक्स की वैक्सीन बनाने वाले डेनिश बायोटेक फर्म बवेरियन नॉर्डिक (BAVA.CO) ने शनिवार को कहा है कि बढ़ते मामलों को देखते हुए उसने टीका के उत्पादन को बढ़ा दिया है। फर्म ने यह भी कहा है कि वह इन टीकों के उत्पादन के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ काम कर रही है ताकि यह प्रभावित लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके।

पूरी दुनिया में एमपॉक्स की टीका बनाने वाले कंपनियों में से एक बवेरियन नॉर्डिक ने अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) को सूचित किया है कि वह इस साल के अंत तक इसके दो करोड़ टीकों का उत्पादन कर लेगा। फर्म ने यह भी कहा है कि वह 2025 का टारगेट लेकर चल रहा है जब वह 10 करोड़ टीकों को तैयार कर लेगा।

मार्च 2024 में मंकीपॉक्स के 30 मामले आए थे सामने

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से, मार्च 2024 में आखिरी मामले के साथ भारत में कुल 30 मामले पाए गए थे। केंद्र ने कहा कि स्थिति की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई।

हालांकि आने वाले हफ्तों में बाहर से आने वाले मामलों का पता चलने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है, लेकिन यह आकलन किया गया है कि प्रकोप का जोखिम वर्तमान में भारत के लिए कम है।

साल 1958 में पहली बार हुई थी इसकी पहचान

एमपॉक्स की सबसे पहले पहचान सन 1958 में हुई थी जब शोधकर्ताओं ने बंदरों में "चेचक जैसी" बीमारी के फैलने का पता लगाया था। यह बीमारी आमतौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका में उन लोगों को प्रभावित करता था जो संक्रमित जानवरों के साथ ज्यादा समय बीताते थे।

लेकिन साल 2022 में यह बीमारी मनुष्य से मनुष्य के बीच यौन संबंध के कारण फैलने की पहली बार पुष्टि हुई थी। इसके बाद यह बीमारी 70 से अधिक देशों में फैल गई थी। एमपॉक्स चेचक से संबंधित बीमारी है।

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस साल मामलों में 160 फीसदी का इजाफा हुआ है। साथ ही इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में 19 फीसदी का इजाफा हुआ है।

क्या है मंकीपॉक्स

एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर किसी के संपर्क में आने से फैलती है। अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है। यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है। इससे शरीर में मवाद से भरे दाने भी होते हैं।

एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। अब तक कई देशों में यह वायरस अपना कहर दिखा चुका है। यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जींस से संबंधित बीमारी होती है। इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी। इसके बाद यह इंसानों में फैलती चली गई।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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