नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' (14 अगस्त) के मौके पर एक मॉड्यूल जारी किया है जिसपर विवाद खड़ा हो गया है। इस मॉड्यूल में कहा गया है कि भारत का विभाजन किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि इसके लिए तीन ताकतें जिम्मेदार थीं - मुहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन। माड्यूल में बताया गया है कि जिन्न ने विभाजन की मांग की; कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और लॉर्ड माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया। कांग्रेस ने इसपर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और इसे जलाने की मांग की है।
यह विशेष मॉड्यूल कक्षा 6-8 और 9-12 के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों को भारत के इतिहास के इस दर्दनाक अध्याय से परिचित कराना है। मॉड्यूल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 अगस्त 2021 के एक संदेश का भी उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "विभाजन की पीड़ा को कभी नहीं भुलाया जा सकता।"
विभाजन के लिए तीन शक्तियों को जिम्मेदार बताया गया
मॉड्यूल के अनुसार, विभाजन के 'दोषी' तीन थे। मुहम्मद अली जिन्ना ने 1940 के लाहौर प्रस्ताव में 'दो राष्ट्रों के सिद्धांत' का प्रचार किया था। मॉड्यूल में कहा गया है कि 1940 के लाहौर प्रस्ताव में जिन्ना ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान अलग-अलग धर्म, संस्कृति और रीति-रिवाजों वाले समुदाय हैं और साथ नहीं रह सकते। इसमें लिखा है कि ब्रिटिश सरकार पहले भारत को एकजुट रखना चाहती थी और उसने ‘डोमिनियन स्टेटस’ का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे ठुकरा दिया।
सरदार पटेल के हवाले से कहा गया है कि “भारत गृहयुद्ध की कगार पर था और देश का बंटवारा उस स्थिति से बेहतर था।” नेहरू ने भी जुलाई 1947 में कहा था, “विभाजन बुरा है, लेकिन गृहयुद्ध की कीमत कहीं ज्यादा होगी।” गांधीजी ने विभाजन का विरोध किया, लेकिन हिंसा का रास्ता अपनाने के पक्ष में नहीं थे। अंततः पटेल और नेहरू के फैसले के बाद उन्होंने भी कांग्रेस को विभाजन स्वीकार करने के लिए राजी कर लिया।
मॉड्यूल में लॉर्ड माउंटबेटन की भूमिका की भी बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। जल्दबाजी में की गई सीमांकन प्रक्रिया के कारण भारी अव्यवस्था फैली और लाखों लोग अनिश्चितता में रहे कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।
मॉड्यूल में कहा गया है कि विभाजन से भारत का सामाजिक और आर्थिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ। पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ, करोड़ों लोग विस्थापित हुए और लाखों की जानें गईं। इसमें यह भी कहा गया है कि विभाजन ने जम्मू-कश्मीर को भारत की स्थायी सुरक्षा समस्या बना दिया। पड़ोसी देश पाकिस्तान ने लगातार इस मुद्दे को भारत पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया, जिससे युद्ध, आतंकवाद और हजारों मौतें हुईं।
कांग्रेस ने कहा- इसे जला दो
एनसीईआरटी की इस व्याख्या पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस दस्तावेज को "जलाने" की मांग करते हुए कहा कि यह सच्चाई नहीं बताता। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाजन "हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के बीच सांठगांठ" के कारण हुआ था। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "आरएसएस इस राष्ट्र के लिए खतरा है। विभाजन का विचार सबसे पहले 1938 में हिंदू महासभा ने प्रचारित किया था, जिसे 1940 में जिन्ना ने दोहराया।"
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “मैं एनसीईआरटी को विभाजन पर चर्चा की चुनौती देता हूं। आज एनसीईआरटी बीजेपी के नियंत्रण में है और उन्हें विभाजन के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण पर भी संदीप दीक्षित ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “यह भाषण बेहद निराशाजनक था। ऐसा लगा मानो यह उनका विदाई भाषण हो। यह भी प्रतीत हुआ कि वह किसी को खुश करने के लिए यह सब कह रहे थे।”
एनसीईआरटी द्वारा जारी ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मॉड्यूल को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “अगर इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो यह सामने आएगा कि किस-किस ने माफी मांगी थी। सब कुछ साफ हो जाएगा।”
एनसीईआरटी के मॉड्यूल में जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराए जाने को लेकर आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “इतिहास किसी की सोच से नहीं बदलता, उसका पूरा संदर्भ होता है। यह लोग गांधी को दोषी ठहराते हैं, कांग्रेस को नहीं। यही इनकी मानसिकता है... ये केवल नफरत की भाषा जानते हैं और उसी के बीज बोने में माहिर हैं, लेकिन अब इस नफरत की फसल इस देश में नहीं पनपने वाली।”
एक इतिहासकार डॉ. रुचिका शर्मा ने भी मॉड्यूल की अति-सरलीकरण की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि विभाजन के लिए सिर्फ जिन्ना, माउंटबेटन और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना अनुचित है, क्योंकि हिंदू महासभा जैसी चरमपंथी संगठन का उदय भी एक महत्वपूर्ण कारक था, जिसने मुसलमानों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा की।
एनसीईआरटी के ‘विभाजन मॉड्यूल’ पर भाजपा ने क्या कहा?
एनसीईआरटी के विभाजन पर विशेष मॉड्यूल को लेकर जारी विवाद पर भाजपा ने भी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पीटीआई से कहा कि “विभाजन के समय जो ताकतें सत्ता में थीं, वे मुस्लिम लीग, नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस और माउंटबेटन थे। विभाजन को रोक सकते थे तो वही ताकतें रोक सकती थीं। नेहरू के कई बयान विभाजन के समर्थन में थे।
पूनावाला ने कहा कि "उस समय सत्ता की लालच और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण जो गलत फैसले लिए गए, उसकी सज़ा आज भी देश भुगत रहा है। लाखों लोग मारे गए, करोड़ों विस्थापित हुए और हजारों महिलाओं के साथ अत्याचार हुए। जब भी हम उस दर्दनाक दौर को याद करते हैं, कांग्रेस इसका विरोध करती है। जब इतिहास उनके पक्ष में होता है तो वे उसी में जीते हैं, लेकिन जब सच सामने आता है तो भागना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस आज भी वही ऐतिहासिक गलती दोहरा रही है—तुष्टिकरण की राजनीति और सत्ता की लालसा। उन्हें देश को बांटने की अपनी भूमिका के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने एनसीईआरटी के विभाजन पर बनाए गए मॉड्यूल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मैं एनसीईआरटी को सच बताने के लिए धन्यवाद देता हूँ। विभाजन के दौरान लाखों लोग मारे गए। कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया, लेकिन अगर उनकी नेतृत्व क्षमता लड़ती तो देश बंटता नहीं। वे सत्ता पाने की जल्दी में थे। जिन्ना को पता था कि उन्हें टीबी है, उन्होंने भी इसका समर्थन किया। आज की पीढ़ी को सच जानने का पूरा हक है।”
NCERT के पूर्व निदेशक ने क्या कहा?
एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक जेएस राजपूत ने कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया है। नए मॉड्यूल पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने IANS से कहा,“मैंने कुछ प्रवक्ताओं को बहुत तेजी से बोलते सुना है, मानो उन्हें इतिहास का पूरा ज्ञान हो। वास्तव में उन्हें कोई जानकारी नहीं होती, फिर भी वे बोलते हैं और मीडिया उसे प्रसारित कर देता है। लेकिन शिक्षाविदों की राय अलग है। वे चाहते हैं कि इतिहास पूरी तरह तथ्यों के आधार पर लिखा जाए और विभाजन से जुड़े सभी तथ्य सामने रखे जाएं।”
उन्होंने कहा कि उन्हें एनसीईआरटी की लेखन शैली पर भरोसा है और वे मानते हैं कि दोष तय करना एक अलग मुद्दा है। राजपूत ने साफ कहा कि “कांग्रेस नेतृत्व पूरी तरह जिम्मेदार था। समझौते भी कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने ही किए थे, कोई और नहीं। अगर स्वतंत्रता प्राप्ति का श्रेय कांग्रेस को दिया जाता है तो यह भी मानना होगा कि विभाजन कराने में भी वही जिम्मेदार थे।”
Greater Noida, Uttar Pradesh: On NCERT’s ‘Partition horrors’ module identifying Jinnah, Congress, and Mountbatten as culprits, former NCERT Director J. S. Rajput says, "I have heard some spokespersons speaking so fast, as if they have complete knowledge of history. They don’t… pic.twitter.com/FMzS691rq2
— IANS (@ians_india) August 16, 2025
एनसीईआरटी ने दो मॉड्यूल जारी किए हैं। दोनों मॉड्यूल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश से शुरू होते हैं। इसमें उन्होंने कहा था, “विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों लोग बेघर हुए, हजारों ने अपनी जान गंवाई। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा ताकि उस बलिदान और पीड़ा को याद रखा जा सके।”