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आलम के निजी सचिव संजीव लाल और लाल के घरेलू सहायक जहांगीर के घर से कैश बरामद हुआ था। इस सिलसिले में ईडी ने आलम को 14 मई को तलब भी किया था।
अपने परिचित लोगों के पास से भारी संख्या में कैश मिलने के बाद मंत्री ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया था। इससे पहले ईडी यह जांच में लगी थी कि मंत्री और जहांगीर के बीच किस तरह के रिश्ते हैं और इस सिलसिले में आलम को समन भी भेजा गया था।
बता दें कि झारखंड के टेंडर कमीशन घोटाले में उनसे ईडी ने मंगलवार को साढ़े नौ घंटे और बुधवार को छह घंटे की पूछताछ की है और फिर गिरफ्तारी हुई है।
जांच में ईडी ने क्या पाया
ईडी ने उनके पीएस संजीव कुमार लाल, घरेलू सहायक जहांगीर आलम और अन्य करीबियों के ठिकानों पर 6-7 मई को की गई छापेमारी कैश बरामद किया था। वह झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं।
ईडी ने उनके पीएस संजीव कुमार लाल एवं घरेलू सहायक जहांगीर लाल को 8 मई से रिमांड पर लिया है और उनसे लगातार पूछताछ जारी है।
इस दौरान खुलासा हुआ है कि ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं में टेंडर मैनेज करने से लेकर भुगतान में कमीशन की वसूली होती थी और इसका निश्चित हिस्सा बड़े अफसरों और मंत्री आलमगीर आलम तक पहुंचता था।
ईडी ने पाया है कि संजीव कुमार लाल मंत्री और अन्य अफसरों के लिए कमीशन वसूलता था और इसका प्रबंधन करता था।
संतोषजनक नहीं देने पर ईडी ने लिया एक्शन
इस मामले में ईडी के समन पर आलमगीर आलम मंगलवार को एजेंसी के दफ्तर पहुंचे थे। पहले दिन उनसे साढ़े नौ घंटे पूछताछ हुई। बुधवार को उन्हें दूसरे दिन भी बुलाया गया। वह 11.30 बजे ईडी ऑफिस पहुंचे थे, जिसके बाद ईडी ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी।
करीब 35 करोड़ रुपए की बरामदगी के मामले में उन्हें पीएस संजीव कुमार लाल और घरेलू सहायक जहांगीर आलम के सामने बिठाकर पूछताछ की गई। इस दौरान वे कई सवालों के जवाब नहीं दे पाए। अपनी संपत्ति और आय के बारे में भी वह जवाब नहीं दे पाए।
इसके अलावा ईडी ने छापेमारी के दौरान बरामद डिजिटल साक्ष्यों को दिखाकर उनसे टेंडर में कमीशन और ट्रांसफर-पोस्टिंग में रकम की वसूली पर सवाल पूछे, लेकिन वे संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे।
एजेंसी इनपुट के साथ