झारखंड शराब घोटाला: एसीबी ने पूर्व उत्पाद आयुक्त और रिटायर्ड IAS अमित प्रकाश को किया गिरफ्तार, क्या है आरोप?

अमित प्रकाश झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) में महाप्रबंधक भी रहे हैं और 31 दिसंबर 2024 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे।

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एसीबी ने पूर्व उत्पाद आयुक्त रिटायर्ड आईएएस अमित प्रकाश को गिरफ्तार किया (Photo : IANS)

झारखंड में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मंगलवार शाम राज्य के पूर्व उत्पाद आयुक्त और रिटायर्ड IAS अधिकारी अमित प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया। उन पर छत्तीसगढ़ की दो शराब कंपनियों को विभागीय स्वीकृति के बिना ₹11 करोड़ से अधिक का भुगतान करने का गंभीर आरोप है।

अमित प्रकाश झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) में महाप्रबंधक भी रहे हैं और 31 दिसंबर 2024 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। एसीबी की जांच में सामने आया है कि प्रकाश ने वर्ष 2022 में थोक शराब आपूर्ति करने वाली छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को नवंबर 2024 में लंबित भुगतान कर दिया था, जबकि इनमें से एक कंपनी पर जांच भी चल रही थी। इस भुगतान की जानकारी संबंधित मंत्री को नहीं दी गई थी।

अब तक छह गिरफ्तारियां

इस घोटाले में अमित प्रकाश छठे व्यक्ति हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले एसीबी ने उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव (IAS) विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह, JSBCL में वित्त महाप्रबंधक रहे सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार और शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा. लि. के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार को गिरफ्तार किया था।

एसीबी की जांच के अनुसार, इस पूरे शराब घोटाले से राज्य सरकार को अभी तक लगभग 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, यह रकम और अधिक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं घोटाले के तार

शराब घोटाले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी मानी जा रही हैं, जहां स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों और कुछ बड़े शराब कारोबारियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है। आरोप है कि झारखंड में 2022 में लागू की गई नई उत्पाद नीति में ऐसे बदलाव किए गए, जिनका सीधा लाभ छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट को मिला। इन सिंडिकेट्स ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से झारखंड में शराब आपूर्ति और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए, जिससे राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।

 

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