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रांचीः भाजयुमो की 'युवा आक्रोश रैली' के दौरान बवाल को लेकर पुलिस की ओर से दर्ज कराए गए केस में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित 18 पार्टी नेताओं को झारखंड हाईकोर्ट से राहत मिली है।
कोर्ट ने इनके खिलाफ पुलिस की ओर से किसी भी तरह की पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।
क्या है मामला?
रांची के मोरहाबादी मैदान में 23 अगस्त को भाजपा और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने झारखंड में बेरोजगारी, सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में धांधली, रिजल्ट में देरी, अनुबंध कर्मियों के स्थायीकरण जैसे सवालों को लेकर 'युवा आक्रोश रैली' का आयोजन किया था। इस दौरान जमकर बवाल हुआ था।
रैली के बाद पुलिस की बैरिकेडिंग को लांघकर सीएम आवास की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ था। दोनों पक्ष से कई लोग घायल हो गए थे। इस मामले में रांची पुलिस ने 51 भाजपा नेताओं के खिलाफ नामजद और 12 हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इन सभी पर साजिश के तहत पुलिस पर हमला करने, निषेधाज्ञा भंग करने और बिना इजाजत सीएम आवास की ओर मार्च करने का आरोप लगाया गया है।
एफआईआर को निरस्त करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित भाजपा के 18 नेताओं ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
कोर्ट ने मरांडी के अलावा जिन अन्य नेताओं के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाई है, उनमें झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो, पांकी के विधायक कुशवाहा शशिभूषण प्रसाद मेहता, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष शशांक राज, निरसा की विधायक अपर्णा सेन गुप्ता, कोडरमा की विधायक नीरा यादव, भाजपा नेता सत्येंद्र नाथ तिवारी, मंगल मूर्ति तिवारी, अमित कुमार, अमरदीप यादव, आरती कुजूर, वरुण कुमार, इंदु शेखर मिश्रा, सांसद प्रदीप वर्मा और आदित्य प्रसाद शामिल हैं।
--आईएएनएस इनपुट