श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया शाखा (काउंटर-इंटेलिजेंस विंग) ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को हिरासत में लिया है। अधिकारियों के मुताबिक, इन लोगों पर पाकिस्तान स्थित आकाओं (हैंडलर्स) के निर्देशों पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, उनके लिए पैसा इकट्ठा करने और आपस में संपर्क साधने के लिए एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल करने का आरोप है।
ये गिरफ्तारियां काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) द्वारा बडगाम, पुलवामा, गांदरबल और श्रीनगर जिलों में 10 अलग-अलग ठिकानों पर की गई तलाशी के बाद हुईं। यह कार्रवाई दो साल पुराने एक आतंकी से जुड़े मामले से जुड़ी है, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B के तहत दर्ज किया गया था।
#WATCH | J&K | The Counter-Intelligence Kashmir (CIK) unit of the Jammu and Kashmir Police conducts searches at 10 locations across four districts of Kashmir- 1 location in Pulwama, 6 locations in Ganderbal, 1 location in Srinagar, and 2 locations in Budgam: CIK
— ANI (@ANI) July 19, 2025
Visuals Source:… pic.twitter.com/CT9sHApXje
पाकिस्तानी आतंकी गाजी से जुड़ाव
जांच के दौरान, पुलिस को इन जगहों पर कुछ संदिग्ध तकनीकी संकेत मिले। कई संदिग्ध एक "विशिष्ट एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन" का उपयोग कर रहे थे, जिसका इस्तेमाल सीमा पार से आतंकी हैंडलर भर्ती, वित्तपोषण और अभियान चलाने के लिए बड़े पैमाने पर करते हैं।
अधिकारियों ने बताया, "इन व्यक्तियों के अब्दुल्ला गाजी जैसे दुश्मनों के संपर्क में होने का संदेह है, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT)/जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हैंडलर है।" उन्होंने यह भी बताया कि यह हैंडलर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर काम करता है।
पुलिस के अनुसार, यह हैंडलर स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी संगठनों में शामिल करने की सक्रिय कोशिश कर रहा था। जांच में पाया गया कि एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन के सर्वर से एक ज्ञात पाकिस्तानी शहर में स्थित आतंकी मॉड्यूल से लिंक का खुलासा हुआ है।
सीआईके के अनुसार, संदिग्धों द्वारा इस्तेमाल किया गया एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप वही है, जिसका इस्तेमाल सीमापार आतंकी लंबे समय से करते आ रहे हैं। इसका इस्तेमाल सिर्फ बातचीत ही नहीं, बल्कि भर्ती, पैसे भेजने और ऑपरेशनल आदेशों के लिए भी किया जा रहा था।
डिजिटल सबूत जब्त, जांच जारी
छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में डिजिटल डिवाइसेज, दस्तावेज और संचार के इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जब्त डाटा की बारीकी से जांच की जा रही है, जिससे और भी नाम सामने आने की संभावना है।
पुलिस का कहना है कि इस ऑपरेशन का मकसद सिर्फ आतंकी गतिविधियों को रोकना ही नहीं है, बल्कि स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनने से भी बचाना है। इसके साथ ही मोबाइल फोन के दुरुपयोग को रोकना, आतंकी नेटवर्क को खत्म करना और ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान कर उन्हें कानून के घेरे में लाना भी प्राथमिकता है।
पुलिस ने कहा कि जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। इस ऑपरेशन को घाटी में सक्रिय आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ एक अहम सफलता माना जा रहा है।