श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। इन पर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्बुल मुजाहिदीन (HM) जैसे आतंकी संगठनों से संबंध होने का आरोप है। तीनों को जेल भेज दिया गया है।
यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत की गई, जो राज्य की सुरक्षा के हित में बिना विभागीय जांच के सेवा समाप्ति की अनुमति देता है। अब तक इस प्रावधान के तहत पिछले पांच वर्षों में 83 कर्मचारियों को हटाया जा चुका है।
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में पुलिस कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, शिक्षक एजाज अहमद और मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान शामिल हैं।
पुलिस कांस्टेबल इश्फाक नसीर: आतंकी नेटवर्क का संचालक
इश्फाक नसीर 2007 में पुलिस विभाग में शामिल हुआ था। उसका भाई आसिफ नसीर 2019 में एक मुठभेड़ में मारा गया था, जो एक प्रशिक्षित आतंकी था। इश्फाक की संलिप्तता 2021 में एक हथियार तस्करी मामले की जांच के दौरान सामने आई। अधिकारियों के अनुसार, उसने लश्कर के लिए हथियार, विस्फोटक और मादक पदार्थों की तस्करी में भूमिका निभाई और इन्हें पाकिस्तान स्थित आतंकियों व उनके हैंडलरों तक पहुंचाने में मदद की। वह उनके लिए सुरक्षित स्थान भी खोजता था।
शिक्षक एजाज अहमद: पुंछ में हिज्बुल का सहायक
एजाज अहमद 2011 में शिक्षक के रूप में सरकारी सेवा में नियुक्त हुआ था। अधिकारी बताते हैं कि वह पुंछ इलाके में सक्रिय था और हिज्बुल आतंकियों की मदद से हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी कराता था। 2023 में, एक जांच चौकी पर उसे एक हथियारों की खेप लेकर पकड़ा गया। पूछताछ में उसने बताया कि यह खेप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित उसके हैंडलर के निर्देश पर पहुंचाई जा रही थी। उसके पास से हिज्बुल के पोस्टर भी बरामद हुए थे।
वसीम अहमद खान: पत्रकार बुखारी की हत्या की साजिश में शामिल
वसीम खान 2007 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में नियुक्त हुआ था और श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत था। 2018 में उसकी आतंकी संलिप्तता उजागर हुई, जब वह पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या की साजिश में शामिल पाया गया। यह हत्या श्रीनगर में हुई थी और इसके पीछे आतंकियों का सुनियोजित षड्यंत्र था।
Jammu & Kashmir LG Manoj Sinha sacks three J&K govt employees, Malik Ishfaq Naseer, a police constable; Ajaz Ahmed, a teacher in the school education department and Waseem Ahmad Khan, a Junior Assistant in Government Medical College, Srinagar , over alleged terror links. pic.twitter.com/dbp3Na1Wvx
— ANI (@ANI) June 3, 2025
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारी नागरिकों और सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले करने वाले प्रतिबंधित समूहों के लिए सक्रिय रूप से काम करते पाए गए। अधिकारी ने कहा, "पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में एक जासूस और एक खतरनाक आतंकवादी सहयोगी का होना एक बहुत बड़ा खतरा है, जिसका जारी रहना राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के लिए बहुत महंगा हो सकता है।"
आतंक के नेटवर्क पर कड़ा प्रहार
अगस्त 2020 से कार्यभार संभालने के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकी बुनियादी ढांचे को खत्म करने को प्राथमिकता दी है। सरकार सिर्फ सक्रिय आतंकियों पर नहीं, बल्कि उनके सहयोगी नेटवर्क – ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और सरकारी संस्थानों में छिपे हमदर्दों पर भी कार्रवाई कर रही है।
2020 से अब तक 70 से अधिक ओवरग्राउंड वर्कर्स या आतंक समर्थकों की सरकारी सेवा समाप्त की जा चुकी है। बीते महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। इसके बाद से केंद्र और राज्य प्रशासन आतंकी नेटवर्कों पर और सख्ती से कार्रवाई कर रही है।
इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 31 मई को दो भाइयों – हसीन और कासिम – को गिरफ्तार किया था। ये राजस्थान के रहने वाले हैं और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, हसीन ने पाकिस्तान में रह रहे अपने रिश्तेदारों से मिलने के बहाने वहां संपर्क बनाया और बीते चार-पांच साल से आईएसआई एजेंट्स के संपर्क में था।
अगस्त 2024 में हसीन ने कासिम के जरिए भारत से पाकिस्तान सिम कार्ड भिजवाए। इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल पाक एजेंटों ने किया। पूछताछ में यह भी सामने आया कि हसीन ने भारतीय सेना की संवेदनशील ठिकानों की तस्वीरें भी ISI को भेजी थीं और इसके बदले पैसे लिए थे। उसने ओटीपी देकर पाकिस्तान में व्हाट्सऐप अकाउंट भी एक्टिवेट करवाया था।