जम्मू-कश्मीरः जम्मू के कठुआ जिले में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मियों और दो आतंकवादियों की मौत हो गई। हालांकि, इस संदर्भ में पुलिस या सुरक्षा बलों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मृतक पुलिसकर्मियों में एक कांस्टेबल सहित दो पुलिसकर्मी एसडीपीओ बॉर्डर के पीएसओ थे। गौरतलब है कि बीते रविवार को पाकिस्तान की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके एक समूह आया था जिसमें लगभग छह आतंकवादियों के शामिल होने की संभावना है। इनको सीमा पार करते हुए कठुआ जिले के सान्याल गांव में जंगलों में स्थानीय जोड़े द्वारा देखा गया।

स्थानीय दंपति ने देखा था

इन लोगों को स्थानीय दम्पति गणेश और उनकी पत्नी ज्योति ने देखा था। ये लोग जंगलों में जलाऊ लकड़ी इकट्ठा कर रहे थे। चूंकि सान्याल गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है तो ऐसा माना जा रहा है कि ये आतंकवादियों का नया समूह है जो सीमा पार करके भारत आया है। 

बीते पांच दिनों में सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है। यह तलाशी अभियान कठुआ के हीरानगर सेक्टर के विभिन्न इलाकों में चलाया जा रहा है जिसका नेतृत्व पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात कर रहे हैं।

इस सिलसिले में अब तक सात लोगों को कस्टडी में पूछताछ के लिए लाया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इन लोगों पर शक है कि ये आतंकवादियों को रसद उपलब्ध करा रहे थे।

कस्टडी में लिए गए लोगों की पहचान 

कस्टडी में लिए गए छह लोगों की पहचान, शकील, फिरोज, अली, फरीद, रफाकत और बशीर हैं। इन लोगों पर पहले भी आतंकवादियों को सीमा पार कराने में कथित रूप से मदद करने का रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले भी इन लोगों को 2024 में पूछताछ के लिए पकड़ा गया था। 

बीते मंगलवार को पुलिस और सुरक्षा बलों ने अपने तलाशी अभियान के क्षेत्रों को बढ़ाया था। तलाशी कर रही टीमें जंगलों के अलावा पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भी गस्त लगा रही हैं। 

गुरुवार को हुई इस मुठभेड़ जो कि सान्याल गांव से लगभग 30 किमी दूर है। यहां उन्हें पहली बार देखा गया था। ऐसे में शंका जताई जा रही है कि ये आतंकवादी राजमार्ग पार करने के बाद कठुआ के घाटी क्षेत्र से उधमपुर या डोडा की ओर बढ़ रहे थे। 

तलाशी अभियान में लगी टीमों ने मंगलवार को जंगलों से दो ग्रेनेड और एम-4 गोला-बारूद के कुछ खाली खोल बरामद किए। सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा इस अभियान में समय लगने का मुख्य कारण आतंकवादियों का घने जंगलों में छिपे होना है।