जम्मू: तीन दशक से भी ज्यादा समय पहले 27 साल की कश्मीरी पंडित नर्स की नृशंस हत्या के मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस की विशेष जांच एजेंसी (SIA) ने सोमवार देर रात कई जगहों पर छापेमारी की। पुलिस ने इस मामले को फिर से खोलते हुए हत्या से जुड़े सबूत जुटाने के लिए यह कार्रवाई की।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि एसआईए ने सरला भट्ट की हत्या के सिलसिले में श्रीनगर जिले में आठ जगहों पर तलाशी ली। सरला भट्ट को 18 अप्रैल, 1990 को सौरा स्थित शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (SKIMS) के हब्बा खातून छात्रावास से अगवा किया गया था। भट्ट का शव अगली सुबह उमर कॉलोनी, मल्लाबाग में मिला। शव पर गोली के निशान भी थे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों के अनुसार, भट्ट की हत्या जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से जुड़े आतंकवादियों ने अपहरण कर की थी। उनके शव के पास से एक नोट मिला था जिसमें उन्हें पुलिस मुखबिर बताया गया था। निगीन पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन उस समय की जाँच असली अपराधियों का पता नहीं लगा सकी थी।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि भट्ट ने पंडितों को सरकारी नौकरी छोड़कर घाटी छोड़ने के लिए दिए गए उग्रवादी फरमानों की अवहेलना की थी और जेकेएलएफ को खुले तौर पर चुनौती दी थी। इसी वजह से उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार भट्ट की हत्या के बाद भी उनके परिवार को धमकियाँ मिलती रहीं और स्थानीय लोगों ने उन्हें उनके अंतिम संस्कार में शामिल न होने की चेतावनी दी।

यासीन मलिक के घर सहित कई जगहों पर छापा

सामने आई जानकारी के अनुसार श्रीनगर के मैसूमा इलाके में JKLF के पूर्व प्रमुख यासीन मलिक के घर पर भी छापेमारी हुई है। इसके अलावा जिन जगहों पर छापेमारी हुई है वे भी JKLF के पूर्व कमांडरों के ठिकाने बताए जा रहे हैं। इनमें यासीन मलिक, जावेद नलका, पीर नूर उल हक शाह, अब्दुल हमीद शेख, बशीर अहमद गोजरी, फिरोज अहमद खान और गुलाम मोहम्मद टपलू जैसे नाम शामिल हैं, जिनके ठिकानों या घरों पर छापेमारी हुई है।

पिछले साल यह मामला एसआईए को सौंप दिया गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, तलाशी के दौरान "अपराध सिद्ध करने वाले सबूत" मिले हैं। इससे 'पूरी आतंकवादी साजिश का पर्दाफाश' करने में मदद मिलेगी। साथ ही भट्ट और उनके परिवार को न्याय भी मिल सकेगा।

सूत्रों ने बताया कि ये छापे एसआईए द्वारा 1990 के दशक के 'जघन्य आतंकवादी कृत्यों' के पीछे के लोगों की पहचान करने और उन पर मुकदमा चलाने के जम्मू-कश्मीर प्रशासन के संकल्प को पूरा करने के प्रयासों का हिस्सा हैं।