जामिया मिलिया के 3 प्रोफेसर के खिलाफ दलित कर्मचारी की शिकायत पर FIR, जाति आधारित गालियां देने और धर्म बदलने का दबाव डालने का आरोप

FIR against 3 professors of Jamia Millia on the complaint of Dalit employee, accused of caste based abuses and pressurizing to change religion

फाइल फोटो

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के तीन उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ एक दलित कर्मचारी को लेकर जाति आधारित गालियां देने, अमानवीय व्यवहार और उस पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई है। सामने आई जानकारी के अनुसार जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है, उसमें प्रोफेसर नाजिम हुसैन अल जाफरी, मोहम्मद नसीम हैदर और प्रोफेसर शाहिद तस्लीम के नाम शामिल हैं।

एफआईआर दलित वर्ग से आने वाले राम निवास सिंह नाम के एक कर्मचारी की शिकायत पर दर्ज हुई है। राम निवास सिंह यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक विज्ञान विभाग में सहायक के रूप में कार्यरत हैं। इनकी शिकायत पर तीनों प्रोफेसर के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1)(p) और 3(1)(q) के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह एफआईआर 15 जुलाई को दर्ज कराई गई थी। नाजिम हुसैन अल-जाफरी आधिकारिक रजिस्ट्रार हैं। नसीम हैदर उप रजिस्ट्रार हैं जबकि शाहिद तस्लीम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

राम निवास सिंह ने क्या आरोप लगाए हैं?

राम निवास सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि वह 30 मार्च 2007 को आरक्षित श्रेणी के तहत अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में विश्वविद्यालय में नियुक्त हुआ था। वर्तमान में वे प्राकृतिक विज्ञान संकाय में सहायक के रूप में कार्यरत हैं। वे 1 दिसंबर 2015 से 30 नवंबर 2021 तक IHBAS में सहायक के रूप में प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) पर थे और 1 दिसंबर 2021 को जामिया में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा था ताकि वे उच्च पदों के लिए आवेदन कर सकें लेकिन कई अनुरोध बिना कोई कारण बताए अस्वीकार कर दिए गए।

राम निवास के आरोपों के अनुसार प्रशासनिक कारणों के बहाने महज 2-3 महीने के अंतराल में विश्वविद्यालय के भीतर उनका कई बार ट्रांसफर किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी मामला दायर किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में किसी को भी करियर में आगे बढ़ने के लिए इस तरह नहीं रोका गया जैसा उनके साथ हुआ।

एनसीएससी को शिकायत देने के बारे में पता चलने पर अल-जाफरी ने उन्हें कनीज फातिमा के निर्देश पर 13 अप्रैल 2023 को दोपहर 12:30 बजे अपने कार्यालय में बुलाया। इसके बाद उन्हें घंटों तक अल-जाफरी के कार्यालय के बाहर इंतजार करना पड़ा। काफी देर बाद वे जब वह कार्यालय में गए, तो अल-जाफरी के साथ कुछ अज्ञात लोग भी मौजूद थे।

'कार्यालय में बुलाकर दी गई जाति आधारित गालियां'

राम निवास के अनुसार मुलाकात के दौरान अल-जाफरी ने कहा, 'रामनिवास, तुम किस तरह के कर्मचारी हो? इस यूनिवर्सिटी से पैसा ले रहे हैं, तुम्हारे बच्चे पल रहे हैं। तुम सीधे आयोग के पास नहीं जा सकते।' इन बातों के कुछ मिनट बाद वहां मौजूद अज्ञात लोग उनके चैंबर से चले गए।

इसके बाद अल जाफरी ने फिर सिंह को अपमानित किया और कहा, 'तुम निचली जाति से हो, भं*** हो। तुमको ऐसे ही रहना चाहिए। तुम जैसे लोगों को आरक्षण के आधार पर नौकरियाँ तो मिल जाती हैं लेकिन फिर भी अपनी जगह का पता नहीं रहता। यह मत भूलो कि जामिया एक मुस्लिम विश्वविद्यालय है, और तुम्हारी नौकरी हमारी दया पर है।'

एफआईआर के अनुसार मामला यहीं नहीं रूका। राम निवास को यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी गई, जिससे उनकी नौकरी खत्म हो सकती थी। अल जाफरी ने इन बातों को लेकर यूनिवर्सिटी के उच्च अधिकारियों के पास नहीं जाने की भी हिदायत दी जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल किया गया।

जब राम निवास दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे

इस घटना के कुछ दिनों बाद राम निवास ने यूनिवर्सिटी की ओर से सहायक रजिस्ट्रार और अनुभाग अधिकारी के पद के लिए 29 अप्रैल 2023 को निकाला गया एक विज्ञापन देखा। हालांकि, इसमें एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए कोई आरक्षण नहीं था। इसके बाद उन्होंने आरक्षण की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। मामले में 16 जून 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय को प्रत्येक श्रेणी में एक पद खाली रखने का निर्देश दिया।

शिकायत के अनुसार अदालत के आदेश के बाद राम निवास सिंह के लिए विश्वविद्यालय में परेशानी और बढ़ गई। अल जाफरी के निर्देश पर प्रोफेसर शाहिद तस्लीम द्वारा कथित तौर पर राम निवास के खिलाफ एक झूठी और मनगढ़ंत शिकायत दर्ज कराई गई। यही नहीं राम निवास को शिकायत की कॉपी दिए बिना उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया। हालांकि, कुछ समय बाद उन्हें शिकायत की एक प्रति मिली, जिस पर उन्होंने आधिकारिक जवाब दाखिल किया।

'ईमान ले आओ...सब ठीक कर दूंगा'

इसके बाद भी कुछ घटनाक्रम जारी रहे और राम निवास को परेशान किया जाता रहा। एफआईआर के अनुसार इस बीच राम निवास ने अल जाफरी से कई बार मुलाकात कर विवादों को खत्म करने की भी पहल की। उन्होंने अल जाफरी से अपमान, जाति-आधारित भेदभाव और मानसिक यातना को रोकने का अनुरोध किया।

एफआईआर के अनुसार इसी बातचीत के क्रम में अल जाफरी ने राम निवास को धर्म बदलने की सलाह दी। अल जाफरी ने कहा, ईमान ले लाओ, और मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। कलमा पढ़ो सब ठीक हो जाएगा। मैं आपके बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित करूंगा। आपने हिंदू धर्म से क्या हासिल किया? जामिया ने सचिन को मोहम्मद अली बना दिया और उसकी जिंदगी बसा दी। उसे ड्राइवर की स्थायी नौकरी मिल गयी क्योंकि वह ईमान ले आया।'

सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि विवाद को बंद करने के लिए वह कई बार अल-जाफरी से मिले लेकिन उन्हें बार-बार धमकी दी गई। जाफरी कहते रहे, 'मैं तुम्हारी संबंध में कराई गई शिकायत कभी बंद नहीं करूंगा। तुमने जामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती दी और इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। जामिया मुसलमानों के लिए एक संस्था है, काफिरों के लिए नहीं।' यही नहीं जातिसूचक अपशब्दों का भी इस्तेमाल लगातार होता रहा।

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