किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भूख हड़ताल खत्म किया। Photograph: (X)
पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 132 दिनों से जारी आमरण अनशन को खत्म करने का ऐलान किया है। भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर को संबोधित करते हुए किसान नेता ने यह ऐलान किया।
उन्होंने पंजाब के सरहिंद में किसानों को संबोधित किया। इसके साथ ही डल्लेवाल ने कहा कि वह किसानों के संघर्ष को जारी रखेंगे और उनकी मांगों का समर्थन करते रहेंगे।
एमएसपी की मांग रहेगी जारी
उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग जारी रहेगी। यह मांग लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त की जाएगी और इसे एक दिन में हासिल नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को आर्थिक आजादी प्रदान करना अनिवार्य था। 70 वर्षीय किसान नेता ने कहा "हजारों (किसान) मुझे बापू (पिता) बुलाते हैं। इसलिए मुझे आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत मेहनत करना है।"
डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयोजक हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता अभिमन्यु और भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के महासचिव ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, अभी तक डल्लेवाल ने सिर्फ पानी पिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने डल्लेवाल के करीबी अमरिक सिंह के हवाले से लिखा "क्योंकि वह बीते 132 दिनों से कुछ नहीं ले रहे हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह से ठोस आहार शुरू करने का निर्णय लिया गया। "
शिवराज सिंह ने अनशन खत्म करने की थी अपील
इससे पहले शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान नेता से भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। चौहान ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखा "सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच उनकी मांगों को लेकर वार्ता जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अब अस्पताल से वापस आ चुके हैं और हम उनके शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ्य होने की कामना करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने उनसे अनशन समाप्त करने का अनुरोध करते हैं, क्योंकि पूर्व निर्धारित तिथि चार मई को सुबह 11 बजे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के लिए मिलेंगे।"
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने भी शनिवार को डल्लेवाल से भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी।
गौरतलब है जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बीते साल 26 नवंबर से आमरण अनशन शुरू किया था। उनके साथ कई अन्य किसान भी धरने पर बैठे थे जो सरकार से 12 प्रमुख मांगों को लेकर दबाव डाल रहे थे। इन प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी घोषित करना था।