आंध्र प्रदेश का 'शीशमहल' केस, क्‍यों जांच के घेरे में आया जगन रेड्डी रुशिकोंडा पैलेस?

विशाखापत्तनम के रुशिकोंडा हिल पर जगन मोहन रेड्डी की भव्य हवेली राजनीतिक तूफान के केंद्र में है। चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा निर्मित 500 करोड़ रुपये के निजी महल का इस्तेमाल करने को लेकर विवादों में है।

रुशिकोंडा पहाड़ी पर एक भव्य इमारत

Photograph: (IANS)

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू से पहले वाईएसआरसीपी पार्टी के मुखिया जगन मोहन रेड्डी की सरकार थी। उस दौरान रुशिकोंडा पहाड़ी पर एक भव्य इमारत बनाया गया था, जिसे जगन रेड्डी का कार्यालय सह निवास स्थान बताया जाता था। अब ये जगह जांच के घेरे में हैं। यह आलीशान संपत्ति, जिसकी अनुमानित कीमत 500 करोड़ रुपये है, अब पर्यावरण उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रही है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, परिसर के अंदर सोने की सजावट, इटालियन मार्बल के फर्श और आलीशान साज-सज्जा सहित कई भव्य चीजें हैं।

यह महल सुरम्य रुशिकोंडा क्षेत्र में 10 एकड़ में फैले चार विशाल ब्लॉकों से बना हुआ है, जो एक प्रमुख तटीय पर्यटन केंद्र है। इस परिसर में व्यापक बुनियादी ढांचा जैसे की पक्की सड़कें, जल निकासी व्यवस्था, थोक जल आपूर्ति और 100 केवी बिजली सब-स्टेशन शामिल हैं।

पर्यावरण उल्लंघन का आरोप

इस भव्य इमारत का निर्माण विवादों में घिरा हुआ है, जिसमें तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) मानदंडों के घोर उल्लंघन के आरोप हैं। आलोचकों का दावा है कि एस्टेट के निर्माण के लिए सुंदर रुशिकोंडा पहाड़ी के लगभग आधे हिस्से की खुदाई की गई थी, जिससे पर्यावरण संबंधी गंभीर चिंताएं पैदा हुई हैं।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने 19 मई, 2021 को पर्यटन विकास परियोजना के रूप में मंजूरी दी थी। हालांकि, टीडीपी का आरोप है कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने कानूनी दिशा-निर्देशों को दरकिनार करते हुए महल को जगन मोहन रेड्डी के निजी इस्तेमाल के लिए बनाया था।

टीडीपी सरकार ने फिर से इस्तेमाल के विकल्प तलाशे

वर्तमान तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अब इस आलीशान संपत्ति को फिर से इस्तेमाल करने की चुनौती से जूझ रही है। मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के प्रशासन ने जगन मोहन रेड्डी पर सार्वजनिक धन के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया है, कुछ अनुमानों के अनुसार कुल खर्च 600 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

हालांकि, वाईएसआरसीपी के पूर्व मंत्री गुडीवाड़ा अमरनाथ ने पिछली सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह परियोजना कानूनी मापदंडों के भीतर है। इस बीच, भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा ने अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने का आह्वान किया है और अधिकारियों से रुशिकोंडा के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने का आग्रह किया है।

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