उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर जैकी श्राफ ने किया याद, भारत रत्न के लिए कही दिल छू लेने वाली बात

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां बनारस की शान थे। उन्हें शहनाई का जादूगर कहा जाता था। उनकी शहनाई वादन इतनी बेहतरीन और दिल से निकलती थी कि उनकी आवाज सुनने के लिए दुनियाभर से लोग आया करते थे।

 बिस्मिल्लाह खां

बिस्मिल्लाह खां जैकी श्राफ Photograph: (IANS)

मुंबई: अभिनेता जैकी श्राफ ने भारत रत्न और ‘शहनाई के जादूगर’ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर उन्हें याद किया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर उन्होंने कहा कि उस्ताद हमेशा दिलों में रहेंगे।  

इंस्टाग्राम के स्टोरीज सेक्शन पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई बजाती एक तस्वीर को शेयर कर जैकी ने कैप्शन में अपने दिल की बात कही। उन्होंने लिखा, “आप हमेशा दिलों में रहेंगे।”

बनारस की शान थे उस्ताद बिस्मिल्लाह खां

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां बनारस की शान थे। उन्हें शहनाई का जादूगर कहा जाता था। उनकी शहनाई वादन इतनी बेहतरीन और दिल से निकलती थी कि उनकी आवाज सुनने के लिए दुनियाभर से लोग आया करते थे। उस्ताद राष्ट्रपति भवन में कई कलाकारों के साथ जुगलबंदी कर चुके हैं। उन्हें काशी की मूल संस्कृति का सशक्त प्रतिनिधि भी लोग कहते हैं। उनकी शहनाई के सुरों में काशी की संस्कृति और परंपराओं की महक थी। मुहर्रम के मौके पर उनकी शहनाई की दर्द भरी धुन हो या श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भोलेनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा, श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी।

बता दें, 'शहनाई सम्राट' बिस्मिल्लाह खां का जन्म 21 मार्च को बिहार के डुमरांव के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उस्ताद का नाम कमरुद्दीन खान था। जानकारी के अनुसार, काफी कम उम्र में वह अपने मामू के घर बनारस गए थे और इसके बाद वह बनारस के ही होकर रह गए, वही उनकी कर्मस्थली बन गई।

भारत रत्न' से भी सम्मानित 

खां को काशी से इतना लगाव था कि एक बार जब उन्हें अमेरिका से यहीं पर बस जाने का प्रस्ताव मिला तो उन्होंने सभी प्रकार की सुख-सुविधा मिलने की बात को एक पल में ही नकार दिया था। उस्ताद 'काशी कबहूं ना छोड़िए, विश्वनाथ के धाम' को मानते थे। उनका कहना था कि यहां गंगा है, यहां काशी विश्वनाथ हैं, यहां से जाना मतलब इन सभी से बिछड़ जाना।

उनके मामू और गुरु अली बख्श साहब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे और वहीं रियाज भी करते थे। यहीं पर उन्होंने बिस्मिल्लाह खां को शहनाई सिखानी शुरू की थी। बिस्मिल्लाह खां अपने मामू के साथ मंदिर में रियाज के लिए भी जाया करते थे।

उस्ताद को भारत सरकार ने साल 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया था।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article