नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि उन्हें जगदीप धनखड़ के उप-राष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे के वास्तविक कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उनके (जगदीप धनखड़) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच का मामला है।

खड़गे ने पत्रकारों के सवाल पर कहा, 'मुझे ये सारी बातें नहीं पता। वह (धनखड़) हमेशा सरकार के पक्ष में थे। उन्हें बताना चाहिए कि क्या हुआ।' खड़गे ने यह बात उस सवाल के जवाब में कहा कि क्या किसानों के पक्ष में बोलने के लिए धनखड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।

'हमेशा सरकार का पक्ष लेते रहे धनखड़'

खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान धनखड़ ने लगातार सरकार का पक्ष लिया और विपक्ष को अक्सर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का मौका नहीं दिया।

खड़गे ने कहा, 'जब हमने किसानों, गरीबों, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों या विदेश नीति से जुड़े कई मुद्दे उठाए, तो उन्होंने हमें (राज्यसभा के सभापति के रूप में) कभी मौका नहीं दिया।'

खड़गे ने आगे कहा, 'जब हमने गरीबों, महिलाओं, दलितों और वंचितों के खिलाफ अत्याचारों और हिंदू-मुस्लिम झड़पों जैसी घटनाओं से संबंधित मुद्दों को नोटिस देकर उठाने की कोशिश की, तो उन्होंने हमें मौका नहीं दिया।'

खड़गे ने कहा, 'यह (धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का कारण) उनके और मोदी के बीच का मामला है। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।'

गौरतलब है कि धनखड़ ने 21 जुलाई की शाम को अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में इस फैसले के पीछे की परिस्थितियों को लेकर अटकलें तेज हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह 'स्वास्थ्य को प्राथमिकता' देने के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

कर्नाटक कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव के सवाल को टाल गए खड़गे

बहरहाल, कर्नाटक कांग्रेस इकाई में नेतृत्व में संभावित बदलाव को लेकर एक अलग सवाल के जवाब में खड़गे ने कहा, 'ये सारी बातें अभी नहीं कही जा सकतीं। इस पर बाद में बात करेंगे।' बता दें कि वर्तमान में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार तय समय से ज्यादा तक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद पर हैं।

बताया जाता है कि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर कई लोगों ने मांग की है कि उन्हें वर्तमान में उनके द्वारा संभाले जा रहे दो प्रमुख पदों में से एक से मुक्त किया जाए। मुख्यमंत्री पद को लेकर भी राज्य में रस्साकशी चलती रही है।