श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन के दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक पूर्व निर्धारित कक्षा में स्थापित किया।
इसरो के पीएसएलवी सी59 रॉकेट ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम चार बजकर चार मिनट पर प्रोबा3 के साथ उड़ान भरी। इसरो के अनुसार, यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मिशन है।
इससे पहले इस सीरीज का पहला सोलर मिशन साल 2001 में इसरो ने ही लॉन्च किया था। दोनों उपग्रहों का कुल वजन 545 किलोग्राम है जिन्हें 44.5 मीटर लंबा और 320 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है। उड़ान भरने के 18 मिनट बाद उपग्रहों को पृथ्वी से 600 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा।
इसरो ने पीएसएलवी सी59 रॉकेट के लॉन्च पर क्या कहा है
इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर बताया, “पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 मिशन ने ईएसए के उपग्रहों को सटीकता के साथ उनकी निर्धारित कक्षा में तैनात करके अपने प्रक्षेपण उद्देश्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है। यह पीएसएलवी के विश्वसनीय प्रदर्शन, एनएसआईएल और इसरो के सहयोग और ईएसए के अभिनव लक्ष्यों का एक प्रमाण है।”
✅ Mission Success!
The PSLV-C59/PROBA-3 Mission has successfully achieved its launch objectives, deploying ESA’s satellites into their designated orbit with precision.
🌌 A testament to the trusted performance of PSLV, the collaboration of NSIL and ISRO, and ESA’s innovative…
— ISRO (@isro) December 5, 2024
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा-3 मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का एक सौर मिशन है, जिसका उद्देश्य सूर्य के रहस्यों को समझना और उसकी गहराई से अध्ययन करना है। इसमें कोरोनाग्राफ अंतरिक्ष यान (सीएससी) और ऑकुल्टर अंतरिक्ष यान (ओएससी) जैसे दो उपग्रह शामिल हैं जो एक साथ एक मिलीमीटर की दूरी पर रहेंगे।
ईएसए ने बताया कि एक सूर्य का अध्ययन करेगा जबकि दूसरा पहले उपग्रह को सूरज के फेयरी डिस्क से सुरक्षा प्रदान करेगा। मिशन का उद्देश्य सूरज के वातावरण या कोरोना और सौर तूफान तथा अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन करना है।
तकनीकी खामी के कारण बुधवार को लॉन्च नहीं हो पाई थी रॉकेट
इस मिशन की लॉन्चिंग पहले इसे बुधवार को होनी थी। लेकिन, तकनीकी खामी की वजह से इसे गुरुवार के लिए टाल दिया गया था। इस मिशन की मियाद दो साल की होगी।
इसे तैयार करने में इटली, स्पेन, बेल्जियम,स्विट्जरलैंड और पौलेंड जैसे देशों ने भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसरो ने बताया कि दोनों उपग्रहों को पृथ्वी की वांछित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है। इससे पहले, इसरो ने जीपीएस से लेकर अन्य कम्यूनिकेशन सिस्टम के मामले में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाया है।
(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)