'इजराइल मुसीबत में हमारे साथ खड़ा रहा है...', पश्चिम एशिया संकट पर संसद में क्या बोले एस जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा कि भारत पश्चिम एशिया के संकट के लिए टू स्टेट सॉल्यूशन को समर्थन करता है। साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद और बंधक बनाने जैसी घटनाओं की निंदा भी करता है।

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New Delhi: External Affairs Minister S Jaishankar speaks in the Rajya Sabha during the winter session of Parliament in New Delhi on Thursday, December 5, 2024. (Photo: IANS/Sansad TV)

नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्य सभा में कहा कि जब भी भारत को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ा है, तो इजराइल उसके साथ खड़ा रहा और वह नई दिल्ली का एक महत्वपूर्ण डिफेंस पार्टनर रहा है।

एस जयशंकर ने प्रश्नकाल के दौरान एक जवाब में नई दिल्ली और तेल अवीव के सुरक्षा सहयोग के पुराने मजबूत रिकॉर्ड का जिक्र किया। विदेश मंत्री ने पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष पर भारत के रुख के बारे में जानकारी देते हुए यह बातें कही।

विदेश मंत्री ने कहा, 'जहां तक ​​इज़राइल का सवाल है, यह एक ऐसा देश है जिसके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा में सहयोग का हमारा मजबूत रिकॉर्ड है। यह एक ऐसा देश भी है जो कई मौकों में हमारे साथ खड़ा रहा है, जब हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में थी। जब हम कोई निर्णय लेंगे तो हम बड़ी परिस्थितियों को ध्यान में रखेंगे लेकिन हम अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को भी देखेंगे।'

फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास की ओर से पिछले साल 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद पश्चिम एशिया में संकट पैदा हुआ था और इजराइल युद्ध में उलझा है।

टू-स्टेट सॉल्यूशन को समर्थन

एस जयशंकर ने युद्ध पर भारत की स्थिति दोहराते हुए कहा कि देश फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर टू-स्टेट समाधान का समर्थन करता है।

विदेशी मंत्री ने कहा, 'फिलिस्तीन के प्रति भारत की नीति लंबे समय से चली आ रही है। हमने हमेशा सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के लिए बातचीत के जरिए टू- स्टेट सॉल्यूशन का समर्थन किया है, जो इजरायल के साथ शांति से रह सके।'

एस जयशंकर ने इस दौरान गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने में भारत के योगदान का भी उल्लेख किया जो युद्ध से लगभग तबाह हो गए हैं।

'बंधन बनाने की घटना की निंदा करते हैं'

इसी साल सितंबर में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 'इजराइल से बिना किसी देरी के और अगले 12 महीनों के भीतर कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में अपनी गैरकानूनी उपस्थिति को खत्म करने की मांग' वाले एक प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया था। इस पर भी जयशंकर ने जवाब दिया।

भारत के फैसले के बारे में बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा, 'भारत जैसा देश, जो खुद आतंकवाद का शिकार है। अगर हम इस तथ्य को मानते हैं कि आतंकवाद को कम महत्व दिया जा रहा है और नजरअंदाज किया जा रहा है, तो यह हमारे हित में नहीं है। हम किसी भी प्रस्ताव को देखते हैं, हम वहां लिखे शब्दों को देखते हैं और परिपक्व दृष्टिकोण अपनाते हैं।'

उन्होंने कहा, 'हम आतंकवाद और बंधक बनाने की घटना की निंदा करते हैं। हमारा मानना ​​है कि देशों को इन स्थितियों पर जरूर प्रतिक्रिया देने का अधिकार है लेकिन देशों को नागरिक के हताहत होने के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। हमें मानवीय कानून बनाना होगा और हम युद्धविराम और हिंसा का जल्द अंत चाहेंगे।'

इजराइली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की ओर से जारी गिरफ्तारी वारंट पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा, 'जब आईसीसी का गठन किया गया था, तो हमारी सदस्यता के प्रश्न पर विचार किया गया था। काफी विचार-विमर्श के बाद बहुत अच्छे कारणों से भारत ने सदस्य नहीं बनने का निर्णय लिया। इसलिए आईसीसी द्वारा कोई भी फैसला हमारे लिए बाध्यकारी नहीं है और यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर हमने कोई औपचारिक रुख अपनाया है।'

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