पटना: बिहार में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की सियासत क्या कोई नई करवट लेने जा रही है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के सक्रिय राजनीति में कदम रखने को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
आधिकारिक तौर पर इस बारे में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता भले ही कुछ भी इस बारे में नहीं बता रहे हैं लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी के अंदर इस पर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि जदयू विधानसभा चुनाव से पहले एक ‘राजनीतिक उत्तराधिकारी’ का स्वागत करने की तैयारी में है।
होली के बाद राजनीति में कदम रखेंगे निशांत कुमार?
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में जदयू से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के होली के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल होने की संभावना है। सीएम नीतीश कुमार के करीबी
जदयू सूत्र ने बताया, ‘ऐसा लगता है कि वह राजनीति में शामिल होने के लिए तैयार हैं। अभी केवल नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।’
सूत्र ने कहा कि नीतीश कुमार को निशांत के राजनीति में प्रवेश के बारे में ‘पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार बढ़ती मांग’ के बारे में सूचित किया गया था। पिछले साल से निशांत का नाम जदयू के भीतर चर्चा में रहा है।
शुरुआत में, कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने निशांत को पार्टी में शामिल करने की मांग की। हालांकि, वरिष्ठ नेताओं ने इसे खारिज कर दिया था और इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया। इसके बावजूद निशांत का नाम अभी पिछले कुछ महीनों में
कई बार चर्चा में आता रहा है। रिपोर्ट के अनुसार जदयू के वरिष्ठ नेता इस मामले पर बोलने से बचते रहे हैं।
निशांत कुमार भी दे रहे हैं कोई संकेत?
48 साल के निशांत कुछ दिन पहले अपने पिता के साथ स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों के अनावरण के कार्यक्रम लिए अपने पिता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ गृहनगर बख्तियारपुर गए थे। कार्यक्रम से इतर अपने पिता से कुछ ही
कदम की दूरी पर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के समर्थन में अपील की और कहा, ‘यदि संभव है, तो कृपया जदयू और मेरे पिता को वोट दें और उन्हें (होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए) वापस सत्ता में लाएं।’
राजनीतिक कार्यक्रमों की बात करें तो इससे पहले निशांत को आखिरी बार 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में देखा गया था। कार्यक्रम के एक हफ्ते बाद जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने निशांत के राजनीति में कदम रखने को लेकर कुछ संकेत दिए थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या निशांत को राजनीति में आना चाहिए, श्रवण कुमार ने कहा था, ‘बेशक, ऐसे प्रगतिशील विचारों वाले युवाओं का राजनीति में स्वागत है। फैसला सही समय पर लिया जाएगा।’
वंशवाद के आलोचक नीतीश कुमार के लिए कठिन फैसला?
मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार पिछले कई सालों से अक्सर वंशवाद की राजनीति के आलोचक रहे हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के खिलाफ अक्सर उनका एक मुख्य मुद्दा वंशवाद रहा है। वे आरोप लगाते रहे हैं कि इन पार्टियों ने वंशवाद और केवल एक परिवार को बढ़ावा दिया है। नीतीश कुमार अक्सर यह भी कहते नजर आए हैं कि ‘बिहार उनका परिवार है।’
ऐसे में अब निशांत क्या नीतीश कुमार के असल उत्तराधिकारी बनेंगे, ये फैसला खुद मुख्यमंत्री के कठिन होने वाला है। जदयू ने अभी तक आधिकारिक तौर पर निशांत को लेकर कोई बात नहीं की है, लेकिन पार्टी के कई नेताओं ने
अगले कुछ दिनों में उनके प्रवेश की संभावना जताई है।
जदयू के एक नेता ने कहा, ‘लालू प्रसाद (राजद प्रमुख) ने 2013 में अपने बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को पार्टी के अगले नेता के रूप में पेश किया था। लगभग उसी समय राम विलास पासवान ने भी अपने बेटे चिराग को पेश किया। वह चिराग ही थे जिन्होंने 2014 के चुनाव से पहले एलजेपी को एनडीए के पाले में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस फैसले ने एलजेपी की राजनीतिक किस्मत बदल दी। इसी तरह, तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटों पर पहुंचाया, जो बहुमत से केवल 12 सीट कम था।।’ उन्होंने कहा कि अगर निशांत एक दशक पहले राजनीति में उतरे होते, तो ‘वह नीतीश कुमार के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हो सकते थे।’
एक अन्य नेता ने कहा, ‘अभी भी देर नहीं हुई है। हमें भविष्य के लिए निशांत कुमार को जदयू में लाने की जरूरत है।’ बता दें कि निशांत कुमार सीएम नीतीश कुमार और दिवंगत मंजू सिन्हा के इकलौते बेटे हैं। वह रांची के मेसरा में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग स्नातक हैं।