क्या लोकतंत्र खतरे में है? म्यूनिख में इस सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या जवाब दिया

एस जयशंकर शुक्रवार को 'लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस' विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में शामिल थे। इस चर्चा में उनके साथ नॉर्वे के PM जोनास गहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफाल ट्रजस्कोवस्की भी मौजूद थे।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर। Photograph: (ग्रोक)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में वैश्विक लोकतंत्र की स्थिति पर पश्चिमी दृष्टिकोण से असहमति जताई और भारत की लोकतांत्रिक सफलता को उजागर किया।

वे शुक्रवार को 'लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस' विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में शामिल थे। इस चर्चा में उनके साथ नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफाल ट्रजस्कोवस्की भी मौजूद थे।

भारत में लोकतंत्र की मजबूती पर जोर

पश्चिमी लोकतंत्र पर अपनी राय साझा करते हुए, जयशंकर ने कहा, “इस पैनल में मैं सबसे आशावादी व्यक्ति प्रतीत हो रहा हूं। मैं अपनी उंगली दिखाकर एक संदेश देना चाहता हूं, और यह तर्जनी उंगली है, कोई अन्य इशारा नहीं। इस पर जो निशान आप देख रहे हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि मैंने हाल ही में मतदान किया है। मेरे राज्य में चुनाव संपन्न हुए हैं और पिछले वर्ष हमने राष्ट्रीय चुनाव भी संपन्न किए थे।”

उन्होंने बताया कि भारत में लगभग दो-तिहाई योग्य मतदाता चुनाव में मतदान करते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पास 900 मिलियन (90 करोड़) मतदाता हैं, जिनमें से 700 मिलियन (70 करोड़) लोगों ने पिछले आम चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग किया। सबसे खास बात यह है कि हम एक ही दिन में सभी वोटों की गिनती कर लेते हैं।”

'हमारे लिए लोकतंत्र का अर्थ है डिलीवरी'

जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के संकटग्रस्त होने की धारणा से असहमति जताते हुए कहा, “जब चुनाव के परिणाम घोषित होते हैं, तो कोई भी उन पर सवाल नहीं उठाता। आधुनिक युग में जब से हम मतदान कर रहे हैं, तब से आज 20 प्रतिशत अधिक लोग वोट डाल रहे हैं। इस आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि लोकतंत्र वैश्विक संकट में है, इस विचार से मैं सहमत नहीं हूं। हम अपने लोकतंत्र को मजबूत और प्रभावी तरीके से चला रहे हैं, और यह हमारे लिए एक वास्तविकता है।”

उन्होंने अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन के इस कथन का भी जवाब दिया कि “लोकतंत्र भोजन नहीं देता”। जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा, “मेरे क्षेत्र में, लोकतंत्र भोजन उपलब्ध कराता है। आज, क्योंकि हम लोकतांत्रिक हैं, हम 800 मिलियन (80 करोड़) लोगों को पोषण सहायता और खाद्य आपूर्ति प्रदान करते हैं। उनके लिए यह केवल भोजन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा विषय है।”

उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में लोकतंत्र की स्थिति अलग-अलग हो सकती है, और इस विषय पर एक निष्पक्ष चर्चा की आवश्यकता है। “हर क्षेत्र की परिस्थितियाँ अलग होती हैं, इसलिए यह मानना कि लोकतंत्र सभी जगह संकट में है, एक गलत धारणा होगी।”

वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी

जयशंकर ने यह भी तर्क दिया कि लोकतंत्र से जुड़ी कई समस्याएँ वैश्वीकरण के उस मॉडल का परिणाम हैं, जिसे पिछले 25-30 वर्षों में अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए पश्चिमी देशों को अन्य क्षेत्रों में मौजूद सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को स्वीकार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने लोकतांत्रिक प्रणाली को इसलिए अपनाया क्योंकि देश में हमेशा से बहुलवादी और परामर्श आधारित समाज रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिमी देश पहले लोकतंत्र को केवल अपनी विशेषता मानते थे, लेकिन आज वैश्विक दक्षिण के कई देश भारत के लोकतांत्रिक अनुभव से अधिक जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 का उद्देश्य

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन का 61वां संस्करण 14 फरवरी से 16 फरवरी तक जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन वैश्विक सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर उच्चस्तरीय चर्चाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। जयशंकर ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए 'वैश्विक लोकतंत्र के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण' को खारिज किया और भारत के लोकतांत्रिक मॉडल को दुनिया के लिए एक सफल उदाहरण बताया।

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