आयातुल्लाह अली खामेनेई के बयान पर भारत ने जताई नाराजगी (फोटो- (X, @khamenei_ir)
नई दिल्ली: भारत ने ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई की भारतीय मुसलमानों को लेकर की गई बयानबाजी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान द्वारा दिया गया ऐसा बयान अस्वीकार्य हैं। साथ ही भारत की ओर से कहा गया कि अल्पसंख्यकों को लेकर बयान देने वाले देशों को दूसरों पर टिप्पणी करने से पहले खुद का रिकॉर्ड देखना चाहिए।
दरअसल खामेनेई ने सोमवार (16 सितंबर) को भारत को गाजा और म्यांमार के साथ उन जगहों की लिस्ट में शामिल बताया जहां मुस्लिम पीड़ित हैं और 'खराब परिस्थितियों से जूझ' रहे हैं। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे बयान 'गलत जानकारियों' पर आधारित हैं और 'अस्वीकार्य' हैं।
ईरान में मुस्लिम महिलाओं की हत्या और पिटाई पर क्या कहेंगे खामेनेई?
दिलचस्प ये भी है कि दूसरे देशों में मुस्लिमों की परिस्थिति पर खामेनेई का बयान ऐसे समय में आया है जब उनके कार्यकाल में ही ईरान में हिजाब के विरोध में आंदोलन में कई महिलाओं को मारा गया है और जेल में डाला गया है। संयोग ये भी है कि खामेनेई की टिप्पणी महसा अमिनी की मौत की दूसरी वर्षगांठ पर आई।
22 वर्षीय ईरानी महिला को हिजाब का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया और पुलिस हिरासत में हुई पिटाई से अमिनी की मौत 16 सितंबर 2022 को हो गई थी। इसके बाद से ईरान में महिलाओं का आक्रोश नजर आया और हिजाब के विरोध में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू हुए। यह अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
खामनेई ने भारत में मुसलमानों पर क्या कहा है?
खामेनेई ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा एक 'इस्लामिक उम्माह (Islamic Ummah) के रूप में हमारी साझा पहचान के संबंध में हमें उदासीन बनाने की कोशिश की है। यदि हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य स्थान पर एक मुसलमान को होने वाली पीड़ा से बेखबर हैं तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते।'
खामेनेई ने कुछ और पोस्ट भी एक्स पर किए। इन्हीं पोस्ट में एक में उन्होंने इस्लामिक उम्मा क्या है, ये भी समझाया। खामेनेई ने कहा, 'इस्लामिक उम्माह की अवधारणा को कभी नहीं भूलना चाहिए। इस्लामिक उम्माह की पहचान की रक्षा करना आवश्यक है। यह एक बुनियादी मुद्दा है जो किसी राष्ट्रीयता से परे है, और भौगोलिक सीमाएं इस्लामी उम्माह की वास्तविकता और पहचान को नहीं बदलती हैं।'
खामेनेई ने एक और पोस्ट में लिखा, 'हमारा बुरा चाहने वाले वैचारिक, प्रचार, मीडिया और पैसों का उपयोग करके देश के भीतर और पूरी दुनिया में शिया को सुन्नी से अलग करने का काम करते हैं। वे दोनों पक्षों के लोगों को दूसरे पक्ष का अपमान करने के लिए प्रोत्साहित करके विभाजन को बढ़ावा देते हैं। एकता पर ध्यान केंद्रित करना ही इसका
समाधान है।'
भारत का जवाब- पहले अपना रिकॉर्ड देखें
ईरानी सुप्रीम लीडर के बयान के कुछ घंटों बाद विदेश मंत्रालय ने तीखा जवाब देने के लिए एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया, 'हम ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के संबंध में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचनाओं पर आधारित हैं और अस्वीकार्य हैं। अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह है कि वे दूसरों के बारे में कुछ भी कहने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें।'
पहले भी भारत पर टिप्पणी करता रहा है ईरान
यह पहली बार नहीं है कि जब ईरान की ओर से भारत का नाम मुसलमानों के लिए 'पीड़ित होने की जगह' के रूप में लिया है। बहरहाल, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ताजा टिप्पणी ईरान के सर्वोच्च नेता ने क्यों की।
इससे पहले मार्च 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों को खामेनेई ने 'मुसलमानों का नरसंहार' कहा था और भारत से 'इस्लाम की दुनिया से अलगाव' को रोकने के लिए 'चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों' का मुकाबला करने का आह्वान किया था। .
खामेनेई 1989 से ईरान में सर्वोच्च पद पर हैं। उन्होंने तब ट्वीट किया था, 'दुनिया भर के मुसलमानों के दिल भारत में मुसलमानों के नरसंहार पर दुखी हैं। भारत सरकार को चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का मुकाबला करना चाहिए और इस्लाम की दुनिया से भारत के अलगाव को रोकने के लिए मुसलमानों के नरसंहार को रोकना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हैशटैग #IndianMuslimslnDanger का इस्तेमाल किया था।
यही नहीं, अगस्त 2019 में सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के दो सप्ताह बाद भी खामेनेई ने कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। कश्मीर को लेकर खामेनेई 2019 से पहले भी कई बार टिप्पणी करते रहे हैं।
करीबी रहे हैं भारत और ईरान के रिश्ते
इन बयानबाजियों के बावजूद भारत और ईरान के बीच रिश्ते बेहद दोस्ती भरे ही सामने आते रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जनवरी में ईरान का दौरा किया था। इसके बाद राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इब्राहिम रईसी की मौत के बाद जब मसूद पेजेश्कियान ने जुलाई में ईरान के नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली, उस समय भी भारत की ओर से केंद्रीय सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्री नितिन गडकरी वहां पहुंचे थे।
यही नहीं ईरान के शीर्ष पांच कारोबारी देशों की लिस्ट में भी भारत शामिल है। यह स्थिति उस समय है जब ईरान पर परमाणु कार्यक्रम की वजह से कई प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसी साल मई में भारत और ईरान के बीच एक बड़ा समझौता भी हुआ था। इसके तहत भारत चाबहार बंदरगाह का 10 साल तक संचालन करेगा।