सुप्रीम कोर्ट Photograph: (सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान निर्वासित किए जा रहे 6 लोगों के एक परिवार को अंतरिम राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उनके कागजात की पुष्टि के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा होने तक उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न हो। परिवार का दावा था कि उसके पास भारतीय आधार, पैन और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने साफ किया है कि आदेश सिर्फ इस मामले के लिए है। इसे दूसरे मामलों के लिए नजीर के तौर पर न देखा जाए। जजों ने इस बात पर सवाल उठाए कि पाकिस्तानी पासपोर्ट के आधार पर भारत में दाखिल होने वाला यह परिवार 25 साल से अधिक समय से यहां कैसे रह रहा है।
बेंगलुरु के व्यक्ति ने पाक भेजे जाने पर की रोक लगाने की मांग
बेंगलुरु में रह कर नौकरी कर रहे अहमद तारिक बट की याचिका में कहा गया था कि उन्हें और उनके परिवार के बाकी 5 सदस्यों को श्रीनगर के फॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफिस से पाकिस्तान जाने का नोटिस मिला है। 29 अप्रैल को 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अब उन्हें भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया है। वहां से उन्हें किसी भी समय पाकिस्तान भेज दिया जाएगा।
अहमद तारिक बट ने अपने पिता मशकूर बट, मां नुसरत बट, बड़ी बहन आयशा तारिक बट, छोटे भाई अबूबकर बट और दूसरे छोटे भाई उमर बट की गिरफ्तारी को अवैध बताया था। याचिका में कहा गया था कि 1997 में मशकूर बट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर से भारत आए थे। साल 2000 में परिवार के बाकी सदस्य भी भारत आ गए। तब से वह लोग श्रीनगर में रह रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि उन्होंने, उनकी बहन और भाइयों ने श्रीनगर के स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने आईआईएम केरल से एमबीए की डिग्री ली और बेंगलुरु में नौकरी की। वह अभी भी बेंगलुरु में रहते हैं। उनके परिवार के सदस्यों के पास आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों के अलावा भारतीय पासपोर्ट भी है। इस तरह अचानक उन्हें गैर-भारतीय बता कर पाकिस्तान भेजना गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट जाना चाहिए था। दस्तावेजों की पुष्टि श्रीनगर में ही होनी है। इस तरह के दूसरे लोग भी हाई कोर्ट में ही याचिका दाखिल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह याचिका का निपटारा कर रहा है। अगर याचिकाकर्ता को दस्तावेजों की जांच के बाद जारी सरकारी आदेश से कोई दिक्कत हो, तो वह हाई कोर्ट जाए।
याचिकाकर्ता ने अपने परिवार को भेजे गए नोटिस को निरस्त करने और गिरफ्तारी को अवैध करार देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मामला वीजा अवधि के बाद भी भारत में रुके रहने का है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके परिवार ने अपना पाकिस्तानी पासपोर्ट भारत में सरेंडर कर दिया था। अब वह लोग वैध भारतीय नागरिक हैं।