नई दिल्ली: भारतीय नौसेना जल्द ही अपने बेड़े में 16 विशेष छोटे युद्धपोतों में से पहले को शामिल करने के लिए तैयार है। इन विशेष छोटे युद्धपोत को दरअसल एंटी सबमरीन वारफेयर और कम तीव्रता वाले अभियानों के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इनका निर्माण भारतीय शिपयार्डों में 12,622 करोड़ रुपये की कुल लागत से किया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इन 16 में से पहले छोटे वारशिप को कोलकाता स्थित रक्षा शिपयार्ड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा एलएंडटी शिपबिल्डर्स के सहयोग से बनाया गया है। इसे 18 जून को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में 'आईएनएस अर्नाला' के तौर पर कमिशन किया जाएगा।
आईएनएस अर्नाला के बारे में...क्या है खासियत
1,490 टन और अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से लैस 77 मीटर लंबा यह जहाज अब तक का सबसे बड़ा भारतीय युद्धपोत है जिसे डीजल इंजन-वॉटरजेट से संचालित किया जाएगा। अर्नाला का नाम महाराष्ट्र के वसई के अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है। इस किले को 1737 में चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में मराठाओं ने तैयार किया था।
एक अधिकारी ने आईएनएस अर्नाला के बारे में कहा, 'युद्धपोत में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, एलएंडटी और महिंद्रा डिफेंस सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों से उन्नत प्रणालियों को शामिल किया गया है।'
इस छोटे एंटी सबमरिन वारशिप की खासियत की बात करें तो एक बार में यह 3300 किलोमीटर तक जा सकता है। इसकी रफ्तार 25 नॉटिकल मील प्रति घंटा होगी। साथ ही महज 30-40 मीटर की गहराई वाले इलाकों में भी अभियान को अंजाम दे सकता है। यह तट से 150 नॉटिकल मील की दूरी पर भी दुश्मन की पनडुब्बी का पता लगा सकता है।
जीआरएसई और कोचीन शिपयार्ड अप्रैल 2019 में 6,311 करोड़ रुपये के करार के तहत आठ युद्धपोतों का निर्माण कर रहे हैं। सभी युद्धपोतों को 2028 तक डिलिवर किया जाना है।