राजस्थान में बन रहा भारत का पहला हाई-स्पीड रेलवे टेस्ट ट्रैक, 2025 तक होगा तैयार

सामान्य लाइनों पर ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से ट्रायल में देरी होती थी और कई ट्रेनों का शेड्यूल बदलना पड़ता था। अब इस नई लाइन से कोच, इंजन और अन्य रेलवे वाहनों की फिटनेस और स्थायित्व का परीक्षण आसानी से हो सकेगा।

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Will the hassle of waiting list end forever will all passengers get confirmed tickets What is indan railway plan

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:WAP-4_Class_locomotive_of_Indian_Railways.jpg)

जयपुर: भारतीय रेलवे राजस्थान में देश का पहला समर्पित रेलवे टेस्ट ट्रैक बना रहा है, जो दिसंबर 2025 तक तैयार हो जाएगा। इस 60 किलोमीटर लंबे ट्रैक का उद्देश्य रेलवे के वाहनों (रोलिंग स्टॉक) की उच्च गति पर सुरक्षा और कार्यक्षमता का परीक्षण करना है। इसे जोधपुर मंडल के नावां इलाके में बनाया जा रहा है, जो जयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है।

यह ट्रैक कई घुमावदार प्वाइंट्स से बना है ताकि ट्रेनें उच्च गति पर भी सुरक्षित तरीके से घूम सकें और उनका प्रदर्शन परखा जा सके। इस ट्रैक पर बुलेट ट्रेन जैसी हाई-स्पीड ट्रेनों का 230 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर परीक्षण संभव होगा।

इस परियोजना के जरिए भारत रेलवे के उच्च गति वाले रोलिंग स्टॉक की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर परख सकेगा। इससे बुलेट ट्रेन, हाई-स्पीड ट्रेन और मेट्रो जैसी ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में मदद मिलेगी।

परियोजना पर लगभग 820 करोड़ रुपये का खर्च आएगा

रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से इस परियोजना पर लगभग 820 करोड़ रुपये का खर्च किया जा रहा है। इसमें सात बड़े और 129 छोटे पुल, चार स्टेशन (गुढ़ा, जाबदीनगर, नवां और मीठड़ी) शामिल हैं।

इन पुलों को नए तकनीकी मानकों के अनुसार मजबूत और कंपनरोधी बनाया गया है ताकि तेज गति से ट्रेन के गुजरने पर संरचना स्थिर बनी रहे। ट्रैक का एक हिस्सा सांभर झील के पास स्थित है, इसलिए पुलों में स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है ताकि क्षारीय वातावरण में जंग न लगे।

परीक्षण के लिए रेलवे के पास कोई ट्रैक अलग से नहीं था

इस ट्रैक पर रोलिंग स्टॉक, ट्रैक सामग्री, पुल, और अन्य संरचनाओं का व्यापक परीक्षण किया जाएगा। इसमें टीआरडी उपकरण, सिग्नलिंग गियर और भू-तकनीकी अध्ययन भी शामिल हैं। रेलवे के पास पहले ऐसी कोई समर्पित लाइन नहीं थी, जहां बिना किसी व्यवधान के ट्रायल किया जा सके।

सामान्य लाइनों पर ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से ट्रायल में देरी होती थी और कई ट्रेनों का शेड्यूल बदलना पड़ता था। अब इस नई लाइन से कोच, इंजन और अन्य रेलवे वाहनों की फिटनेस और स्थायित्व का परीक्षण आसानी से हो सकेगा।

ट्रैक की मुख्य लाइन 23 किलोमीटर लंबी है

रेलवे के रिसर्च, डिजाइन और स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम इस ट्रायल ट्रैक की निगरानी करेगी। यह टीम ट्रेन के हर हिस्से का विस्तृत परीक्षण करती है, जैसे कि ट्रेन के वाइब्रेशन, खराब ट्रैक पर ट्रेन का रिस्पॉन्स आदि। यहां ट्रैक की मुख्य लाइन 23 किलोमीटर लंबी है, जबकि बाकी हिस्से में विभिन्न प्रकार के ट्रायल के लिए स्पेशल लूप्स बनाए गए हैं।

इस ट्रैक पर विभिन्न कोणों पर कर्व लूप्स बनाए गए हैं ताकि ट्रेनों की गति और स्थिरता की जांच की जा सके। नावां स्टेशन पर तीन किलोमीटर का क्विक टेस्टिंग लूप और मीठड़ी में 20 किलोमीटर का कर्व टेस्टिंग लूप तैयार किया गया है।

इसके अलावा, सात किलोमीटर लंबा ट्विस्टी ट्रैक भी तैयार किया गया है ताकि विभिन्न परिस्थितियों में ट्रेन के स्थायित्व का परीक्षण हो सके। यह ट्रैक न केवल भारत की ट्रेनों के लिए बल्कि अन्य देशों की ट्रेनों के लिए भी उपलब्ध होगा ताकि वे अपने रोलिंग स्टॉक का परीक्षण कर सकें।

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