पाकिस्तान के साथ टकराव के बाद बढ़ रहा भारत का रक्षा कारोबार, 2029 तक निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य

रिपोर्ट के अनुसार भारत 2029 तक अपने रक्षा निर्यात को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 500 अरब रुपये (5.8 अरब डॉलर) से ज्यादा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।

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नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ चार दिनों तक चली सैन्य झड़प के बाद भारत का रक्षा उद्योग विदेशी बाजारों में तेजी से अपनी पैठ बना रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सैन्य तनाव के बाद भारत सरकार स्वदेशी औद्योगिक उत्पादों का निर्यात करके अपने विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहती है। 

इन उत्पादों में मोबाइल फोन से लेकर मिसाइलें तक शामिल हैं और यह प्रयास "मेक इन इंडिया" पहल के तहत किया जा रहा है। सैन्य उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा स्टार्टअप और 'ब्रह्मोस' जैसी स्थापित सरकारी कंपनियों, दोनों से मिल रहा है, जिmकी मिसाइलों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य ढाँचे को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया था।

रिपोर्ट के अनुसार ड्रोन बनाने वाली स्टार्टअप कंपनी राफे एमफाइबर (Raphe mPhibr) के मुख्य कार्यकारी विवेक मिश्रा ने जून में 100 मिलियन डॉलर जुटाए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह प्रोत्साहन इसलिए आया क्योंकि 'यदि भारतीय सेना कठिन इलाकों में सिस्टम का उपयोग कर रही है और वे प्रदर्शन से खुश हैं, तो यह अन्य देशों के लिए भी एक मान्यता बन जाती है।'

हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय हथियारों की वैश्विक मांग कैसे बढ़ी है। 8 जुलाई को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में हमने जो पराक्रम दिखाया और हमारे घरेलू उपकरणों ने जो क्षमता दिखाई, उसके बाद हमारे स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक मांग और भी बढ़ गई है।'

रक्षा निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य

बहरहाल, रिपोर्ट के अनुसार भारत 2029 तक अपने रक्षा निर्यात को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 500 अरब रुपये (5.8 अरब डॉलर) से ज्यादा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। भारतीय रक्षा मंत्री ने बताया था कि पिछले वित्तीय वर्ष में निर्यात 236 अरब रुपये रहा था। वर्षों से भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक रहा है। भारत आमतौर पर अमेरिका, फ्रांस, इजराइल, रूस आदि से हथियार खरीदता रहा है।

हालाँकि, पिछले कुछ सालों में भारत की स्थिति बदली है। भारत के दृष्टिकोण में यह बदलाव चीन के लिए भी कड़ी प्रतिस्पर्धा बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में कानपुर में एक बैठक में कहा, 'दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर में 'मेक इन इंडिया' और स्वदेशी हथियार प्रणालियों की एक झलक देखी।'

उन्होंने आगे कहा, 'घरेलू हथियारों और ब्रह्मोस मिसाइलों ने दुश्मन की जमीन में गहराई तक भारी तबाही मचाई।' 2014 में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ही भारत के रक्षा उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोला था।

भारत क्या कुछ निर्यात कर रहा है?

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अखबार को बताया कि भारत ने 2022 में फिलीपींस को 37.5 करोड़ डॉलर में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें निर्यात कीं, जो एक भारतीय-रूसी संयुक्त उद्यम द्वारा बनाई गई हैं। देश अब इस हथियार प्रणाली को वियतनाम और इंडोनेशिया को बेचने के लिए बातचीत कर रहा है।

इसके अलावा अधिकारी ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि नई दिल्ली सरकारी स्वामित्व वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और तोपों को 'मित्र देशों' को बेचने पर भी विचार कर रही है। उन्होंने कहा, 'हम किसी विशेष हथियार को बेचने के लिए सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहे हैं।'

ऑपरेशन सिंदूर से पहले भी भारत ने सरकारी कंपनियों के साथ अन्य सैन्य सौदों में मध्यस्थता की थी। इनमें से कुछ सौदों में आर्मेनिया को लगभग 4 करोड़ डॉलर में बीईएल द्वारा निर्मित चार स्वाति (Swathi) विपन लोकेटिंग रडार की बिक्री शामिल थी, जिन्हें अजरबैजान के साथ देश के संक्षिप्त संघर्ष में तैनात भी किया गया था।

तब से आर्मेनिया ने पिनाका रॉकेट और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदा हैं, जिससे भारत से उसकी हथियारों की खरीद लगभग 6 करोड़ डॉलर हो गई है। 

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