बलूचिस्तान का जिक्र पर पहलगाम नहीं! भारत ने SCO जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार

राजनाथ सिंह ने बैठक में पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि कुछ देश सीमा आतंकवादियों को पनाह देते हैं। इस बैठक में पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह Photograph: (आईएएनएस)

नई दिल्ली: चीन में शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर कन्नी काट रहे चीन और पाकिस्तान को भारत ने जवाब दिया है। इस बैठक में हिस्सा ले रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर से गुरुवार को इनकार कर दिया। सिंह वर्तमान में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन के किंगदाओ में हैं।

सामने आई जानकारी के अनुसार भारत ने इसे लेकर ऐतराज जताया कि जॉइंट स्टेटमेंट में पहलगाम आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इससे साफ तौर पर भारत के आतंक के खिलाफ मजबूत स्टैंड को अनदेखी करने की कोशिश की गई। वहीं, दूसरी ओर साझा बयान में बलूचिस्तान का जिक्र था। इससे एक तरह से इशारा देने की कोशिश थी बलूचिस्तान में भारत अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद भारत की ओर से इस जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। ऐसा लगता है कि पहलगाम को साझा बयान से बाहर रखने का निर्णय पाकिस्तान के इशारे पर लिया गया है, क्योंकि अभी एससीओ का अध्यक्ष चीन है, जो उसका करीबी मित्र है।

SCO बैठक में क्या बोले राजनाथ सिंह?

इससे पहले राजनाथ सिंह ने बैठक में पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि कुछ देश सीमा आतंकवादियों को पनाह देते हैं। इस बैठक में पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमलों के बाद शुरू किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी जिक्र किया। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में कहा, 'आतंकवाद के प्रति भारत का 'जीरो टॉलरेंस' आज जग जाहिर है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं। हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए। एससीओ के 'आरएटीएस तंत्र' ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के संयुक्त वक्तव्य 'आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला' पर हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।'

'आतंकियों को पनाह दे रहे हैं कुछ देश'

रक्षा मंत्री ने कहा, 'कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।'

राजनाथ सिंह ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में वृद्धि है।'

शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए रूस, पाकिस्तान और चीन सहित अन्य सदस्य देश भाग ले रहे हैं। 2001 में स्थापित, एससीओ का उद्देश्य सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। वर्तमान में इस समूह में 10 सदस्य देश हैं। ये देश हैं- बेलारूस, चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।

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