देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का दिसंबर में परीक्षण, जर्मनी-चीन की कतार में भारत शामिल

भारतीय रेलवे का यह प्रयास पर्यावरण की सुरक्षा और आधुनिक तकनीक के उपयोग का अनूठा मेल है। हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनों की यह शुरुआत आने वाले समय में रेलवे की छवि को और अधिक उज्ज्वल बनाएगी।

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नई दिल्ली: भारतीय रेलवे इस साल दिसंबर में अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन का परीक्षण करने जा रहा है। यह ऐतिहासिक परीक्षण हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच 90 किलोमीटर लंबे मार्ग पर होगा।

यह कदम रेलवे को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने और पूरी तरह से शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करेगा।

अंग्रेजी वेबसाइट द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, तमिलनाडु की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनी यह हाइड्रोजन ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन की गई है।

यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे केवल जल वाष्प का उत्सर्जन होता है। पारंपरिक डीजल इंजनों की तुलना में यह तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि लंबे समय में लागत भी कम करेगी।

पहली हाइड्रोजन ट्रेन की अनुमानित लागत 80 करोड़ रुपए है

खबर के अनुसार, भारतीय रेलवे ने मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) रेक को हाइड्रोजन ईंधन सेल से लैस करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।

यह प्रोजेक्ट लगभग 1.5 मिलियन डॉलर (लगभग 111.83 करोड़ रुपए) की लागत से तैयार हो रहा है। पहली हाइड्रोजन ट्रेन की अनुमानित लागत 80 करोड़ रुपए है, जबकि हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर बुनियादी ढांचे के लिए 70 करोड़ रुपए प्रति रूट का खर्च आएगा।

यदि दिसंबर में होने वाला परीक्षण सफल होता है, तो रेलवे 2025 तक 35 और हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनें शुरू करने की योजना बना रहा है। यह भारत को जर्मनी, स्वीडन और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जो पहले ही इस तकनीक को अपना चुके हैं।

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ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में आएगी कमी, यात्रा भी होगी सस्ती

खबर के मुताबिक, हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनें न केवल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करेंगी, बल्कि लंबी अवधि में परिचालन लागत भी घटेगी। शुरू में इसकी लागत अधिक हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे इसका संचालन सस्ता और प्रभावी हो जाएगा।

यह कदम भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को मजबूती देगा और सार्वजनिक परिवहन को और अधिक टिकाऊ बनाएगा।उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत सेक्शन पर इस प्रोटोटाइप का फील्ड ट्रायल शुरू होने से न केवल भारत की तकनीकी क्षमता बढ़ेगी, बल्कि स्वच्छ और हरित परिवहन की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाएगी।

भारतीय रेलवे का यह प्रयास पर्यावरण की सुरक्षा और आधुनिक तकनीक के उपयोग का अनूठा मेल है। हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनों की यह शुरुआत आने वाले समय में रेलवे की छवि को और अधिक उज्ज्वल बनाएगी।

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