नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक सामग्री पर अपनी कार्रवाई को तेज करते हुए पिछले तीन सालों में भारत सरकार ने खालिस्तान जनमत संग्रह से जुड़े लगभग 10,500 यूआरएल को ब्लॉक किया।
इन यूआरएलों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत ब्लॉक किया गया, जो सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा मानी जाने वाली सामग्री को ब्लॉक करने की अनुमति देता है।
खालिस्तान जनमत संग्रह असल में एक वोटिंग प्रक्रिया है जिसे अक्सर कई पश्चिमी देशों में अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नून द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य भारत से पंजाब को अलग कर एक सिख देश बनाना है।
यूआरएल को ब्लॉक करने के अलावा, सरकार ने खालिस्तान जनमत संग्रह को बढ़ावा देने वाले कई मोबाइल ऐप्स को भी ब्लॉक किया। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने हाल ही में गृह मंत्रालय के साथ इन निष्कर्षों को साझा किया।
पिछले तीन सालों में इतने यूआरएल हुई ब्लॉक
पिछले तीन वर्षों में, भारत सरकार ने फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से कुल 28,079 यूआरएल को ब्लॉक किया।
इनमें से अधिकतर यूआरएल फेसबुक (10,976 यूआरएल) पर थे जिनमें से कई धोखाधड़ी योजनाओं से जुड़े थे जबकि 10,139 यूआरएल एक्स पर ब्लॉक किए गए। यही नहीं 2,211 यूट्यूब खाते, 2,198 इंस्टाग्राम हैंडल, 225 टेलीग्राम और 138 व्हाट्सऐप अकाउंट को भी बंद किया गया।
पीएफआई और लिट्टे जैसे संगठनों से संबंधित यूआरएल भी हुए हैं ब्लॉक
सरकार गृह मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर इन खातों को ब्लॉक कर रही। गृह मंत्रालय को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ साइटों और ऐप्स भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर रही।
सरकार ने केरल के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों और लिट्टे, जम्मू-कश्मीर उग्रवादियों और वारिस पंजाब डे (डब्ल्यूपीडी) जैसे अन्य कट्टरपंथी समूहों से जुड़े यूआरएल को ब्लॉक किया।