नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी सरकार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रही है। सरकार इसी महीने 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों की खरीद को हरी झंडी देने के लिए तैयार है। सरकार के इस कदम से रक्षा उपकरणों से पूंजीगत खर्च बढ़ाने का चलन जारी रहेगा। साल 2024-25 में सरकार ने रक्षा क्षेत्र में दो लाख करोड़ से ज्यादा खर्च किया। 

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, छह खरब 50 अरब रुपये (7.6 बिलियन डॉलर) जहाजों की यह डील सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के पास इसी महीने रखी जाएगी। इस डील पर सभी हितधारकों को एकमत करने के बाद तीन अतिरिक्त डीजल इलेक्ट्रानिक पनडुब्बियों के लिए सरकार की मंजूरी मिल जाएगी। 

भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

इन समुद्री लड़ाकू विमानों को सैन्य बेड़े में शामिल करने से भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत बढ़ेगी। इसके अलावा अतिरिक्त पनडुब्बियां हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में पारंपरिक प्रतिरोध को मजबूत करेंगी।

रक्षा मंत्रालय ने साल 2024-25 में 193 रक्षा अनुबंध किए। इनकी कीमत दो लाख नौ हजार पचास करोड़ रुपये है। वहीं, साल 2023-24 में 192 रक्षा अनुबंध किए गए थे जिसकी कीमत 1,04,855 रुपये थी। पीएम मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने 1096 रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन अनुबंधों की कीमत लगभग 10 लाख करोड़ रुपये है। 

आंकडे दर्शाते हैं कि साल 2024-25 में किया गया खर्च बीते चार सालों की तुलना में अधिक था। इस साल सरकार ने कोई भी धनराशि समर्पित नहीं की। साल 2020-21 में मंत्रालय ने 205 करोड़ रुपये और 2021-22 में 863 करोड़ रुपये समर्पित किए थे।

वहीं, 2022-23 में यह धनराशि 7,055 करोड़ रुपये थी। साल 2023-24 में मंत्रालय ने 2,971 करोड़ रुपये समर्पित किए थे। इसका मतलब हुआ कि जितनी राशि सरकार आवंटित कर रही थी। मंत्रालय उस राशि को खर्च नहीं कर सका जिसके परिणामस्वरूप संशोधित अनुमान कम हो गया।

भारत के पड़ोसी देशों प्रमुख रूप से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बुनियादी ढांचे को उन्नत करना है। भारत चीन के साथ एलएसी पर 3,488 किमी सीमा साझा करता है।

भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में इन दिनों राजनीतिक रूप से उतार-चढ़ाव जारी है। इस बीच भारत सरकार ने 'आत्मनिर्भर भारत' पर ध्यान केंद्रित किया है और सैन्य निर्माण क्षमता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का फैसला लिया है।