नई दिल्लीः भारत सरकार ने शुक्रवार को अवैध प्रवास पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह न केवल अवांछनीय है, बल्कि संगठित अपराध से भी जुड़ा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस मुद्दे पर भारत की नीति और दृष्टिकोण साझा किए।
रणधीर जयसवाल ने कहा कि भारतीय नागरिकों के मामले में, चाहे वे अमेरिका में हों या कहीं और, यदि वे वहां निर्धारित दस्तावेजों के बिना रह रहे हैं या उनकी वीजा अवधि समाप्त हो चुकी है, तो हम उन्हें वापस लाएंगे, बशर्ते उनकी नागरिकता की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेज हमें उपलब्ध कराए जाएं।
संख्या के बारे में चर्चा करना फिलहाल जल्दबाजी होगीः विदेश मंत्रालय
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, जब अमेरिका से वापस लाए जाने वाले लोगों की संख्या पर सवाल किया गया, तो रणधीर जायसवाल ने कहा कि संख्या के बारे में चर्चा करना फिलहाल जल्दबाजी होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या अवैध प्रवासियों की वापसी से भारत के व्यापार और औद्योगिक संबंध प्रभावित होंगे, उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध प्रवास और व्यापार दो अलग-अलग मुद्दे हैं। हमारी नीति अवैध प्रवास के सख्त खिलाफ है क्योंकि यह संगठित अपराध से जुड़ा हुआ है।
चीन दौरे पर जाएंगे विदेश सचिव विक्रम मिस्री
चीन दौरे पर जाने वाले विदेश सचिव विक्रम मिस्री के संदर्भ में जयसवाल ने कहा कि यह दौरा 26 और 27 जनवरी को होगा। इस दौरान विदेश सचिव चीन के उपमंत्री और अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे, जहां द्विपक्षीय हितों से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होगी।
उन्होंने आगे कहा, “यह बैठक कजान में नेताओं द्वारा हुई समझ के तहत आयोजित की जा रही है। इसके बाद हमने विशेष प्रतिनिधियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर भी बैठकें की हैं। चर्चा के बाद जो मुद्दे उठाए जाएंगे, उनकी जानकारी साझा की जाएगी। लेकिन इसमें आपसी हितों से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।”
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से अमेरिका में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू हो गई है। अब तक 500 से अधिक प्रवासियों को गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार लगभग 18 हजार भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा जा सकता है।