नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत और अमेरिका में ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत के बीच शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने 'झुक जाएंगे।' राहुल गांधी की ओर से यह दावा पीयूष गोयल के कल के उस बयान के बाद आया है जिसमें केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने ट्रेड डील में भारतीय हितों को सर्वोपरि रखने की बात कही थी।
राहुल गांधी ने शनिवार सुबह एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'पीयूष गोयल अपनी छाती पीट सकते हैं, लेकिन मेरी बार ध्यान से सुन लीजिए, मोदी ट्रंप के टैरिफ डेडलाइन के आगे झुक जाएंगे।'
इससे पहले पीयूष गोयल ने कल कहा था कि भारत किसी भी बड़े व्यापार सौदे को अंतिम रूप देने की जल्दबाजी में नहीं है, लेकिन अगर यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा तो ही वह इस पर सहमत होगा। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बातचीत के अंतिम चरण में हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ता के लिए भारत का दृष्टिकोण दृढ़ और सैद्धांतिक बना हुआ है।
9 जुलाई को अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ की डेडलाइन हो रही खत्म
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के करीब 100 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया था। बाद में इस पर 90 दिनों की रोक ट्रंप की ओर से लगाई गई थी। यह डेडलाइन 9 जुलाई को खत्म हो रही है। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को फाइनल करने में कुछ ही दिन बचे हैं। अब तक सूत्रों के हवाले से आई जानकारी के अनुसार दोनों देशों के बीच ट्रेड डील में जहां भारत अपने वस्तुओं के लिए अमेरिका में अधिक बाजार पहुंच चाहता है, वहीं अमेरिका अपने कृषि उत्पादों पर भारत में निर्यात के दौरान शुल्क में रियायत चाहता है।
दिल्ली में 16वें टॉय बिज बी2बी एक्सपो के दौरान गोयल ने कहा, 'यह दोनों पक्षों के लिए जीत वाला समझौता होना चाहिए, और केवल तभी जब भारत के हितों की रक्षा हो। राष्ट्रीय हित हमेशा सर्वोच्च होगा, और इसे ध्यान में रखते हुए, यदि कोई अच्छा सौदा बनता है, तो भारत हमेशा विकसित देशों के साथ जुड़ने के लिए तैयार है।'
उन्होंने कहा, 'कई देशों के साथ चर्चा चल रही है - चाहे वह यूरोपीय संघ हो, न्यूजीलैंड हो, ओमान हो, अमेरिका हो, चिली हो या पेरू हो। कई देशों के साथ समझौतों पर बातचीत चल रही है।' गोयल ने कहा, 'मुक्त व्यापार समझौता तभी संभव है जब पारस्परिक लाभ हो। भारत कभी भी समय सीमा या समय के दबाव के आधार पर व्यापार सौदे नहीं करता है। कोई सौदा तभी स्वीकार किया जाता है जब वह पूरी तरह से परिपक्व हो, अच्छी तरह से बातचीत की गई हो और राष्ट्रीय हित में हो।'