पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी नहीं जाएगा, व्यापक रोडमैप तैयारः जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को बताया कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की ओर बहने वाले भारतीय नदियों के पानी को रोकने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार कर ली है। यह निर्णय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई अहम बैठक के बाद लिया गया है।

सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान को झटका, न्यूट्रल एक्सपर्ट ने किया भारत का समर्थन...क्या है पूरा विवाद?

नई दिल्लीः दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। अब सरकार पाकिस्तान को सिंधु नदी के पानी की आपूर्ति रोकने की तैयारी कर रही है। इसके लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को बताया कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की ओर बहने वाले भारतीय नदियों के पानी को रोकने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार कर ली है। यह निर्णय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई अहम बैठक के बाद लिया गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पाटिल ने मीडिया से कहा, "बैठक में तीन विकल्पों पर चर्चा हुई। सरकार अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक स्तर पर कदम उठा रही है, ताकि पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न मिले। जल्दी ही नदियों की गाद निकासी शुरू की जाएगी, जिससे पानी को रोका और मोड़ा जा सके।"

 इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार अब सिंधु बेसिन में स्थित बांधों की जल भंडारण क्षमता बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही है ताकि भविष्य में अधिक जल रोका जा सके।

यह निर्णय 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकियों ने 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या कर दी थी।

'जम्मू-कश्मीर के लिए सिंधु जल संधि हमेशा नुकसानदेह रही है'

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अन्यायपूर्ण दस्तावेज है।

उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। जहां तक जम्मू-कश्मीर की बात है, हमने हमेशा माना है कि यह संधि हमारे लिए नुकसानदेह रही है।" उमर अब्दुल्ला ने यह भी बताया कि उनकी गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत हुई है, जिसमें देश के अन्य राज्यों में रह रहे जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर चर्चा हुई।

उन्होंने कहा, "गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सभी राज्य सरकारों को इस बारे में निर्देश दिए जाएंगे और एक सलाह जारी की जाएगी। उन्होंने खुद कई मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे पर बात की है।"

भारत ने पाकिस्तान को भेजे नोटिस में क्या कहा है?

सरकार ने इस निर्णय को लागू करने के लिए औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है, जिसे गुरुवार को पाकिस्तान को भी सौंपा गया। अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि संधि को “स्थगन की स्थिति” में रखा गया है, जिससे भारत पर अब किसी प्रकार की संधि से जुड़ी बाध्यताएं नहीं रहेंगी- जिनमें सिंधु आयुक्तों की बैठकें, जल डेटा का आदान-प्रदान और नए प्रोजेक्ट्स के लिए पूर्व सूचना शामिल हैं। अब भारत को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर बिना पाकिस्तान की अनुमति या सलाह के बांधों का निर्माण करने की पूरी स्वतंत्रता मिल गई है।

भारत की जल संसाधन सचिव देबाशीष मुखर्जी द्वारा पाकिस्तानी अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित निरंतर आतंकवाद भारत के संधि के तहत अधिकारों को बाधित करता है।

पत्र में लिखा गया है, “किसी संधि का पालन सद्भावना के साथ करना उसका मूल सिद्धांत होता है। लेकिन भारत को इसके विपरीत निरंतर सीमा-पार आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है।”

पाकिस्तान ने दी चेतावनी, कहा 'युद्ध की कार्रवाई'

भारत के इस निर्णय के जवाब में पाकिस्तान ने कड़ा विरोध जताया है और कहा है कि यदि भारत संधि के अंतर्गत पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह को रोकता है, तो इसे वह “युद्ध की कार्रवाई” मानेगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को अनुचित और अंतरराष्ट्रीय संधि कानूनों के खिलाफ बताया है।

गौरतलब है कि यह संधि 1960 में नौ वर्षों की बातचीत के बाद विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। इसमें पूर्वी नदियाँ (सतलज, ब्यास, रावी) भारत को और पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान को आवंटित की गई थीं। हालांकि, इस संधि में एकतरफा निलंबन का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे भारत के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी चुनौती मिल सकती है।

संधि को निलंबित करना पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा उठाए गए कई प्रतिशोधात्मक कदमों का हिस्सा है। केंद्र ने इसके अलावा पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को निष्कासित करना, अटारी और ओबेरॉय सीमा चौकियों को तत्काल बंद करना, और दोनों देशों के राजनयिक मिशनों को सीमित करने जैसे कदम भी उठाये हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालेगा। जल डेटा साझा करने की प्रक्रिया रुकने से फसल चक्र में जल प्रबंधन गड़बड़ा सकता है, खासकर बुआई और सिंचाई के मौसम में।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article