नई दिल्ली: पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मुद्दा और सिंधु जल संधि पर चल रहे विवाद को संयुक्त राष्ट्र में उठाने के बाद भारत ने भी अपनी ओर से तेज पलटवार किया है। संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर 'अच्छे पड़ोसी' के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाले देशों को 'गंभीर कीमत चुकानी होगी।' 

हरीश ने कहा, 'सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर अच्छे पड़ोसी और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की भावना का उल्लंघन करने वाले देशों को भी गंभीर कीमत चुकानी होगी। हाल ही में, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। इसके बाद 25 अप्रैल के परिषद के बयान के आधार पर - जिसमें सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया था।'

हरीश ने आगे कहा, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी कैम्पों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। यह काफी संतुलित, नपी-तुला और तनाव को नहीं बढ़ाने वाली प्रकृति का था, इसका लक्ष्य अपने प्राथमिक उद्देश्यों को प्राप्त करना था। सैन्य गतिविधियों को रोकना सीधे तौर पर पाकिस्तान के अनुरोध पर किया गया था।'

'भारत और पाकिस्तान में काफी अंतर...'

इसके बाद हरीश ने दोनों देशों के बीच गहरा अंतर बताते हुए पाकिस्तान पर आतंकवाद और आर्थिक अस्थिरता से ग्रस्त होने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, 'मैं पाकिस्तान के प्रतिनिधि की टिप्पणियों पर भी प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य हूँ। भारतीय उपमहाद्वीप प्रगति, समृद्धि और विकास के मॉडल के मामले में बिल्कुल विपरीत है। एक ओर भारत है—एक परिपक्व लोकतंत्र, एक उभरती अर्थव्यवस्था, और एक बहुलवादी एवं समावेशी समाज। दूसरी ओर पाकिस्तान है—कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ, और आईएमएफ से लगातार कर्ज लेने वाला देश।'

उन्होंने आगे कहा, 'जब हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने पर चर्चा कर रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं जिनका सार्वभौमिक रूप से सम्मान किया जाना चाहिए। उनमें से एक है आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस। परिषद के किसी सदस्य के लिए यह उचित नहीं है कि वह ऐसे आचरण में लिप्त होकर उपदेश दे जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अस्वीकार्य हैं।'

पाकिस्तान के डिप्टी पीएम ने उठाया था मुद्दा

भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में यह जवाब पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर विवाद उठाए जाने के बाद आया है। इसे अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने स्थगित कर दिया था। 

इशाक डार ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में सबसे पुराने विवादों में से एक बना हुआ है। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित क्षेत्र है, जिसका अंतिम निपटारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार किया जाना है। कोई भी दिखावटी उपाय कश्मीरियों के अधिकार का विकल्प नहीं बन सकता, जिसकी गारंटी सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों द्वारा दी गई है।'

डार ने आगे कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि, दो पड़ोसियों के बीच जल-बंटवारे की व्यवस्था को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए बातचीत और कूटनीति का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। यह संधि द्विपक्षीय संबंधों में कई उतार-चढ़ावों से गुजरी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक है कि भारत ने इस संधि को बिना किसी ठोस आधार पर अवैध और एकतरफा रूप से स्थगित रखने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों को पानी की आपूर्ति रोकना है, जो अपनी आजीविका और अस्तित्व के लिए इस पर निर्भर हैं।'