नई दिल्लीः अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोमवार को शपथ ग्रहण करने के साथ ही भारत ने उनके साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा अवैध प्रवासन को रोकने के लिए उठाए गए कदमों में सहयोग का आश्वासन दिया है। इसके तहत, भारत सरकार ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18,000 से अधिक भारतीय नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

अवैध प्रवासन को रोकना ट्रंप के प्रमुख वादों में से रहा है

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और भारत ने मिलकर लगभग 18,000 भारतीय प्रवासियों की पहचान की है, जिन्हें वापस भेजा जाना है। हालांकि, वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है, क्योंकि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों की सटीक गणना अब तक स्पष्ट नहीं है।

अवैध प्रवासन पर कड़ा रुख अपनाना डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख चुनावी वादों में से एक रहा है। राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद, ट्रंप ने सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करने और अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर सैनिकों की तैनाती की योजना बनाई।

भारत, अन्य देशों की तरह, ट्रंप प्रशासन को संतुष्ट करने के लिए पर्दे के पीछे काम कर रहा है, ताकि व्यापार प्रतिबंधों का सामना न करना पड़े। भारत की यह उम्मीद है कि अवैध प्रवासियों की वापसी के बदले अमेरिका भारतीय छात्रों और कुशल कामगारों के लिए वैध प्रवासन के रास्ते खुले रखेगा।

भारत-अमेरिका सहयोग का एक प्रमुख लक्ष्य है वैध प्रवासन को सुगम बनाना। उदाहरण के तौर पर, 2023 में H-1B वीजा का 75% हिस्सा भारतीय नागरिकों को मिला। ऐसे में, अवैध प्रवासियों की वापसी के बदले वैध प्रवासन के अवसर सुनिश्चित करना भारत के लिए आर्थिक और राजनीतिक रूप से लाभदायक हो सकता है।

अवैध प्रवासियों में भारतीयों की स्थिति

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों में भारतीयों का हिस्सा लगभग 3% है, जो लैटिन अमेरिकी देशों के मुकाबले काफी कम है। हालांकि, उत्तरी अमेरिकी सीमा पर भारतीय प्रवासियों की संख्या में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, 2022 में अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में लगभग 2.2 लाख भारतीय अवैध प्रवासी रह रहे थे।

अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अवैध अप्रवासी भारतीय हैं। यह संख्या मेक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद तीसरे स्थान पर है। 2023 में अमेरिका ने लगभग 1.89 लाख अवैध प्रवासियों को पकड़ा, जिनमें से 30,010 भारतीय थे। कनाडा की सीमा से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले कुल प्रवासियों में 22% भारतीय थे।

भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत और अमेरिका ने अवैध प्रवासन रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024 के बीच अमेरिका से 519 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया। अक्टूबर 2024 में, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी ने एक चार्टर्ड फ्लाइट के जरिए 100 से अधिक भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा था। भारत ने इस प्रक्रिया को वैध प्रवासन को प्रोत्साहन देने का माध्यम बताया है, ताकि H-1B वीजा और छात्र वीजा जैसी योजनाओं का दायरा सीमित न हो।

2022 में अमेरिका में 43,764 भारतीय अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़े गए थे

अवैध प्रवासन का मुद्दा न केवल मानवाधिकार और सीमा सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी प्रभाव डालता है। 2022 में अमेरिका में 43,764 भारतीय अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़े गए थे। इन प्रयासों के पीछे रोजगार की कमी, बेहतर जीवन की तलाश और सीमित कानूनी विकल्प मुख्य कारण हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे संबंधों के बावजूद, भारत अमेरिका की अप्रत्याशित व्यापारिक नीतियों के प्रति सतर्क है। ट्रंप ने बार-बार भारत के उच्च आयात शुल्क पर आपत्ति जताई है। यदि अमेरिका भारत पर समान शुल्क लगाता है, तो इससे भारतीय कंपनियों और वहां कार्यरत पेशेवरों को गंभीर नुकसान हो सकता है।

भारत के लिए यह सहयोग केवल प्रवासन तक सीमित नहीं है। अवैध प्रवासन रोकने से खालिस्तान आंदोलन जैसे अलगाववादी आंदोलनों पर भी लगाम लग सकती है, क्योंकि इनके समर्थक अमेरिका और कनाडा में सक्रिय हैं। वैध प्रवासन के अवसर बढ़ाने से भारतीय पेशेवरों और छात्रों को लाभ होगा, जो दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरी अमेरिकी सीमा पर भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे- एल साल्वाडोर में वीजा-फ्री यात्रा का बंद होना। कनाडा तक भारतीयों की आसान यात्रा और वैध प्रवासन विकल्पों की सीमित उपलब्धता।

भारत का बयान

अवैध प्रवासियों को वापस लेने का यह कदम भारत के लिए राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।  भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत और अमेरिका प्रवासन और गतिशीलता पर सहयोग कर रहे हैं, ताकि अवैध प्रवासन को रोका जा सके और भारत से अमेरिका में वैध प्रवासन के लिए और अवसर बनाए जा सकें।" उन्होंने अक्टूबर में हुए निर्वासन कार्रवाई का उल्लेख करते हुए इसे इसी सहयोग का परिणाम बताया।