नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को यूनाइटेड किंगडम की संसद की एक संयुक्त मानवाधिकार समिति की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें भारत पर ब्रिटेन की धरती पर कथित रूप से 'अंतरराष्ट्रीय दमन' में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस रिपोर्ट को “पूरी तरह निराधार” करार देते हुए कहा कि इसमें जिन स्रोतों पर भरोसा किया गया है, वे संदिग्ध और गैर-पुष्ट हैं और ज्यादातर प्रतिबंधित संगठनों या भारत-विरोधी इतिहास रखने वाले व्यक्तियों से जुड़े हुए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने इस रिपोर्ट में भारत को लेकर की गई टिप्पणियों को देखा है और इन बेबुनियाद आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं। यह रिपोर्ट ऐसे स्रोतों पर आधारित है, जो प्रतिबंधित इकाइयों और भारत के प्रति शत्रुता रखने वाले तत्वों से जुड़े हैं। इन अप्रमाणित और बदनाम स्रोतों पर भरोसा करने से खुद इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।”
इस रिपोर्ट में भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, यूएई, ईरान और अन्य देशों पर ब्रिटेन में ‘ट्रांसनेशनल रेप्रेशन’ (विदेश में असहमति को दबाने) का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि इन देशों ने यूके की धरती पर प्रवासी समुदायों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को डराने, धमकाने और चुप कराने की कोशिश की।
रिपोर्ट जारी करते हुए संयुक्त समिति ने ब्रिटिश सरकार से मांग की कि वह ऐसे खतरों के खिलाफ मजबूत और ठोस कार्रवाई करे और ब्रिटेन में रह रहे पीड़ितों को पर्याप्त सुरक्षा और समर्थन प्रदान करे।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने हालिया ब्रिटेन दौरे के दौरान प्रधानमंत्री कीर स्टारमर को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करने के लिए धन्यवाद दिया था। 24 जुलाई को की गई साझा प्रेस वार्ता में पीएम मोदी ने कहा था, “हम इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। चरमपंथी विचारधारा रखने वाली ताकतों को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय आया, जब ब्रिटेन में खालिस्तानी चरमपंथियों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर भारत गंभीर चिंता जता चुका है। इन तत्वों ने न केवल भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाया है, बल्कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा के दौरान भी सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की थी।
मार्च 2023 में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई तोड़फोड़ के बाद भारत सरकार ने ब्रिटेन को कड़ा विरोध दर्ज कराया था और पूछा था कि सुरक्षा के नाम पर ब्रिटिश प्रशासन पूरी तरह नाकाम क्यों रहा।
भारत ने यह दोहराया कि लोकतांत्रिक मूल्यों की आड़ में भारत-विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने वालों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और इस तरह की रिपोर्टों में तथ्यों की बजाय प्रोपेगेंडा को जगह देना चिंताजनक है।