पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को पानी के मोर्चे पर करारा जवाब देने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए हैं। एक ओर भारत सिंधु जल संधि को निलंबित कर चुका है, वहीं दूसरी ओर अब रणबीर नहर के विस्तार और तुलबुल प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की रणनीति पर काम हो रहा है।

तुलबुल प्रोजेक्ट को पाकिस्‍तान के विरोध के बाद 1987 में रोक दिया गया था। इन दोनों योजनाओं से पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत को सिंचाई, पेयजल और ऊर्जा उत्पादन में बड़ा लाभ मिलेगा।

क्या है रणबीर नहर?

रणबीर नहर जम्मू क्षेत्र की एक ऐतिहासिक सिंचाई परियोजना है, जिसका निर्माण महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में 1905 में हुआ था। चिनाब नदी से पानी लेकर यह नहर जम्मू के उपजाऊ इलाकों में सिंचाई का प्रमुख स्रोत है। यह नहर शुरू में 16,460 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए डिज़ाइन की गई थी। मुख्य नहर की लंबाई 60 किलोमीटर है, जबकि इसकी वितरण प्रणाली लगभग 400 किलोमीटर तक फैली हुई है।

 सिंधु जल संधि 1960 के तहत रणबीर नहर को 1,000 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए और 250 क्यूसेक पानी जलविद्युत उपयोग के लिए लेने की अनुमति है। इसके अलावा, 15 अप्रैल से 14 अक्टूबर तक गाद निकासी के लिए भी पानी लिया जा सकता है।

अब सरकार इसकी लंबाई को बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने पर विचार कर रही है। इस विस्तार के बाद भारत हर सेकंड में 150 क्यूबिक मीटर पानी चिनाब से डायवर्ट कर सकेगा, जो अभी 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड है। इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के किसानों को अधिक पानी मिलेगा, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही, जल विद्युत परियोजनाओं और स्थानीय जलापूर्ति में भी सुधार होगा।

पाकिस्तान को क्यों है चिंता?

चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लिए जीवनरेखा मानी जाती है। यदि भारत इस नदी से अधिक पानी डायवर्ट करने में सफल हो जाता है, तो पाकिस्तान के सिंचाई तंत्र और पेयजल स्रोतों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। पाकिस्तानी मीडिया और अधिकारियों ने पहले ही इस संभावित योजना पर चिंता जतानी शुरू कर दी है, भले ही भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ न कहा गया हो।

तुलबुल प्रोजेक्ट 

तुलबुल प्रोजेक्ट (जिसे वुलर बैराज के नाम से भी जाना जाता है) जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में स्थित वुलर झील के मुहाने पर प्रस्तावित एक नेविगेशन लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है। इसका उद्देश्य झेलम नदी में जल प्रवाह को नियंत्रित करना और पूरे वर्ष नौवहन को सुनिश्चित करना है, विशेषकर सर्दियों में जब जल स्तर बहुत कम हो जाता है।

इस परियोजना पर काम 1984 में शुरू हुआ था, लेकिन पाकिस्तान के विरोध और सिंधु जल संधि का हवाला देने के चलते 1987 में इसे रोक दिया गया था। अब भारत इसे पुनः शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

पाकिस्तान क्यों विरोध करता है?

पाकिस्तान का आरोप है कि तुलबुल प्रोजेक्ट सिंधु जल संधि का उल्लंघन है क्योंकि इससे झेलम नदी की मुख्य धारा पर जल का संग्रह हो सकता है। उनका दावा है कि यह बैराज लगभग 0.3 मिलियन एकड़ फीट (करीब 0.369 बिलियन घन मीटर) पानी जमा कर सकता है, जो पाकिस्तान के हिस्से के जल प्रवाह को प्रभावित करेगा।

हालांकि भारत का कहना है कि यह एक 'नॉन-कंजम्पटिव' यानी गैर-उपभोज्य परियोजना है, जिसका उद्देश्य सिर्फ जल प्रवाह को नियंत्रित करना है, ना कि पानी को स्थायी रूप से रोकना।

सिंधु जल संधि की प्रासंगिकता

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर पाकिस्तान का प्रमुख अधिकार तय किया गया था, जबकि भारत को सतलुज, रावी और ब्यास नदियों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी।

लेकिन भारत अब इस संधि को एकपक्षीय रूप से निलंबित कर चुका है, खासकर बार-बार के आतंकी हमलों के बाद। इससे भारत को अपने हिस्से के जल संसाधनों का व्यापक उपयोग करने का रास्ता मिल गया है।

किसानों की मांग- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी को मिले पानी

इस बीच, किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (गैर-राजनीतिक) ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि वे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ सिंधु नदी बेसिन के पानी के उपयोग पर क्षेत्रीय जल संकट को दूर करने के लिए बातचीत शुरू करें।

चौहान को लिखे अपने पत्र में, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के संबंध में पिछली सरकार द्वारा की गई "गलती" को सुधारने का आह्वान किया है। बीकेयू (गैर-राजनीतिक) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा, "सिंधु जल संधि से संबंधित पिछली सरकारों की त्रुटियों को सुधारने का समय आ गया है, जो भारतीय किसानों की तुलना में पाकिस्तान का पक्ष लेती है।"

पहले, कई किसान नेताओं ने संधि को निलंबित रखने या अस्थायी रूप से निलंबित करने के भारत सरकार के फैसले का समर्थन किया था और इसकी शर्तों की समीक्षा की मांग की थी। 65 साल पुरानी इस संधि को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने निलंबित कर दिया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के अंदर गहरे आतंकी शिविरों को निशाना बनाते हुए सटीक हमले किए थे।

मलिक ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं, जिसका असर उनकी फसल उत्पादन पर पड़ रहा है। उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया कि वे इन राज्यों के किसानों के साथ इस बात पर चर्चा शुरू करें कि भारतीय कृषि को लाभ पहुंचाने के लिए सिंधु नदी के पानी का उपयोग कैसे किया जाए। सिंधु नदी बेसिन से पानी की पहुंच इन राज्यों के कृषि परिदृश्य को बदल सकती है।