नई दिल्ली: देश के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच को सुगम और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार बांग्लादेश होते हुए रेलवे लाइन बिछाने की योजना पर काम कर रही है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 21 जून से दो दिनों के भारत दौरे पर हैं। लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद शेख हसीना अपने पहले द्विपक्षीय दौरे पर हैं। शेख हसीना वैसे पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुई थीं।
बहरहाल, इन दौरों के बीच भारत की ओर से एक खास रेलवे परियोजना को लेकर चर्चा जोरों पर है। इसके तहत भारतीय रेलवे को पूर्वोत्तर के हिस्सों से जोड़ने के लिए बांग्लादेश से होते हुए पटरी बिछाई जानी है। ऐसी रेल लाइन होने से पूर्वोत्तर के हिस्सों में पहुंचने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर यानी जिसे ‘चिकेन नेक’ भी कहा जाता है, उस पर अत्यधिक निर्भरता कम हो जाएगी। इसे लेकर दोनों देशों में बातचीत जारी है। माना जा रहा है कि शेख हसीना के मौजूदा भारत दौरे पर इसे लेकर ठोस फैसला हो सकता है।
बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी जता रही विरोध
‘चिकन नेक’ को बायपास करने के लिए रेल नेटवर्क बिछाने की इस पूरी योजना पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा गया है लेकिन भारतीय मीडिया में आई खबरों के बाद बांग्लादेश में कुछ विरोध के सुर उठने लगे हैं। खासकर बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की ओर से इसके विरोध की आवाजें आ रही हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार बीएनपी नेता रूहुल कबीर रिजवी ने योजना पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इस पहल से देश खतरे में आ जाएगा। बीडीन्यूज24 डॉट कॉम के अनुसार बीएनपी नेता ने कहा कि अगर ऐसी योजना लागू हुई तो बांग्लादेश ‘अपनी बची हुई संप्रभुता भी खो देगा।’
चिकन नेक क्या है?
भारत की मुख्य भूमि से पूर्वोत्तर को जोड़ने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर एकमात्र रास्ता है। इसे ‘चिकेन नेक’ भी कहा जाता है। इसकी चौड़ाई केवल 22 किलोमीटर है। इसके एक ओर नेपाल, दूसरी तरफ बांग्लादेश, तीसरी ओर भूटान और चौथी ओर चीन की कुछ सीमा आती है। ऐसे में भारत के लिए यह हिस्सा बहुत अहम हो जाता है।
यहां से रेलवे लाइन भी गुजरती है। अगर यह किसी भी स्थिति में ब्लॉक होता है तो भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।खासकर साल 2017 में डकलाम गतिरोध के दौरान सैन्य और नागरिक परिवहन के लिए महत्वपूर्ण इस रेलवे लाइन को लेकर चिंता काफी बढ़ गई थी। ऐसा इसलिए कि डकलाम का क्षेत्र इस ‘चिकन नेक’ से कुछ किलोमीटर ही ऊपर है। इसके बाद भी 2020 में भी भारत और चीन के बीच तनाव खूब बढ़ गया था जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की खबरें आई थी।
बांग्लादेश होते हुए रेलवे लाइन बनाने की क्या है योजना?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना में बांग्लादेश से होते हुए 861 किमी के 14 नए मार्ग और पूर्वोत्तर के लिए वैकल्पिक मार्ग शामिल होंगे। इससे पटरियों की कुल लंबाई 1,275.5 किमी हो जाएगी। इस पहल में बांग्लादेश में मौजूदा ट्रैकों का गेज परिवर्तन और नए ट्रैक का निर्माण शामिल होगा।
नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने बताया, ‘कोलकाता से पूर्वोत्तर तक यात्रा के समय को कम करने के अलावा नया रेलवे नेटवर्क बांग्लादेश के साथ संचार भी बढ़ाएगा। इससे पड़ोसी देशों के बीच व्यापार और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा भी मिलेगा।’
वर्तमान में बांग्लादेश रेलवे पांच इंटरचेंज बिंदुओं प्वाइंट्स पर भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। ये हैं- बेनापोल (बांग्लादेश) – पेट्रापोल (भारत), दर्शन (बांग्लादेश) – गेडे (भारत), रोहनपुर (बांग्लादेश) – सिंघाबाद (भारत), बिरोल ( बांग्लादेश)-राधिकापुर (भारत), और चिल्हाटी (बांग्लादेश)-हल्दीबाड़ी (भारत)।