भारत को अब 'सोने की चिड़िया' नहीं 'शेर' बनना है, दुनिया ताकत की भाषा समझती है: मोहन भागवत

मोहन भागवत ने केरल में एक कार्यक्रम में कहा कि किसी देश की पहचान को संरक्षित रखना जरूरी है ताकि उसका सम्मान हो। उन्होंने कहा कि अगर आप अपनी पहचान खो देते हैं, तो आपको कभी सम्मान नहीं मिलेगा।

Mohan Bhagwat

मोहन भागवत Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत को शक्तिशाली और आर्थिक रूप से मजबूत बनने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया केवल आदर्शों का नहीं, बल्कि ताकत का भी सम्मान करती है। कोच्चि में एक राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत को अब अतीत की "सोने की चिड़िया" नहीं बनना है, बल्कि उसे अब "शेर" बनना होगा। 

आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित 'ज्ञान सभा' में भागवत ने कहा, 'यह जरूरी है क्योंकि दुनिया ताकत की भाषा को समझती है। इसलिए भारत को मजबूत बनना चाहिए। इसे आर्थिक दृष्टि से भी समृद्ध बनना होगा।"

राष्ट्रीय पहचान पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि "भारत" एक संज्ञा है और इसका अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "इंडिया भारत है। यह सच है। लेकिन भारत भारत है। इसलिए, बातचीत, लेखन और भाषण में, चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक, हमें भारत को भारत ही रखना चाहिए।"

'देश की पहचान को बचाए रखना जरूरी'

उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी देश की पहचान को संरक्षित रखना जरूरी है ताकि उसका सम्मान हो। उन्होंने कहा, ''भारत की पहचान का सम्मान इसलिए है क्योंकि वह भारत है। अगर आप अपनी पहचान खो देते हैं, तो चाहे आपके कितने भी अच्छे गुण क्यों न हों, आपको इस दुनिया में कभी सम्मान या सुरक्षा नहीं मिलेगी। यही मूलमंत्र है।" 

आरएसएस प्रमुख ने शिक्षा के उद्देश्य पर भी बात की और कहा कि इसे व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से जीने और समाज में योगदान देने के लिए सक्षम बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ''भारतीय शिक्षा त्याग और दूसरों के लिए जीना सिखाती है।" उन्होंने आगे कहा कि जो कुछ भी स्वार्थ को बढ़ावा देता है उसे सच्ची शिक्षा नहीं कहा जा सकता। भागवत ने आगे कहा कि शिक्षा केवल स्कूली शिक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें घर और समाज का वातावरण भी शामिल है। उन्होंने कहा कि समाज इस बात पर विचार करे कि जिम्मेदार और आत्मविश्वासी भावी पीढ़ियों के पालन-पोषण के लिए किस तरह के माहौल की आवश्यकता है।

इस सम्मेलन में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, शिक्षाविदों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया था।

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