भारत ने पहली बार पाकिस्तान की ओर से इस्तेमाल मिसाइलों के सप्लायर के तौर पर चीन का लिया नाम, क्या है मायने?

मीडिया को जानकारी देते हुए एयर मार्शल ए के भारती ने भारत द्वारा गिराए गए मिसाइलों के टुकड़े भी दिखाए। उन्होंने भारतीय क्षेत्र में गिरी पीएल-15 लंबी दूरी की मिसाइल का मलबा दिखाया।

PL 15 Debris

Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने और पाकिस्तान के अधिकांश हवाई हमलों को विफल करने के बीच पहली बार भारत ने सोमवार को भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए चीनी मिसाइलों के नाम सार्वजनिक किए। यह मिसाइलें चीन की ओर से पाकिस्तान को दी गई है, जिसका इस्तमाल उसने भारत के खिलाफ पिछले हफ्ते चले संघर्ष में किया।

मीडिया को जानकारी देते हुए एयर मार्शल ए के भारती ने भारत के एयर डिफेंस सिस्टम द्वारा गिराए गए मिसाइलों के टुकड़े भी दिखाए। उन्होंने भारतीय क्षेत्र में गिरी पीएल-15 लंबी दूरी की मिसाइल के मलबे को दिखाते हुए कहा, 'आप स्क्रीन पर इसके टुकड़े देख सकते हैं।' इसे पंजाब के होशियारपुर से बरामद किया गया था।

दरअसल, पिछले हफ्ते हुए संघर्ष में सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए कई उच्च तकनीक वाले विदेशी हथियारों को रोका और उन्हें निष्क्रिय कर दिया। इसमें चीन का बना पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाला मिसाइलें और तुर्की का बाइकर वाईएचए III कामिकाजे ड्रोन (Byker YIHA III Kamikaze) भी शामिल हैं।

भारत-पाकिस्तान संघर्ष के इस दौर में चीन का नाम पहली बार लिया गया है। इन सभी वर्षों में भारत ने चीन-पाक सैन्य संबंधों के विस्तार पर बारीकी से नजर रखा हुआ है।

लंबे समये से चीन-पाकिस्तान का चला आ रहा संबंध

चीन-पाकिस्तान के बीच राजनीतिक, आर्थिक, परमाणु और सैन्य क्षेत्रों में दशकों से संबंध रहा हैं। यह बात भी कई बार सामने आती रही है कि बीजिंग पिछले कई दशकों से पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराता रहा है। पिछले हफ्ते भारत ने सिर्फ तुर्की के ड्रोन का नाम बताया था, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान कर रहा था। लेकिन अब उसने सार्वजनिक रूप से चीनी और तुर्की के हथियारों का नाम बताया है। 

चीन के एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (एवीआईसी) द्वारा विकसित पीएल-15 एक लंबी दूरी की रडार-निर्देशित मिसाइल है, जिसे 200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर हवाई लक्ष्यों तक को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
इसका उद्देश्य कम से कम अमेरिका निर्मित एआईएम-120डी एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएमआरएएएम) जैसी क्षमता प्रदर्शित करना है।

इसके निर्यात वाले संस्करण पीएल-15ई की अधिकतम सीमा 145 किलोमीटर बताई गई है और इसे पाकिस्तान के जेएफ-17 ब्लॉक III और जे-10सीई लड़ाकू विमानों के साथ लगाया गया है। चीनी सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले मिसाइल के घरेलू संस्करण की अधिकतम सीमा 300-500 किलोमीटर के बीच है।

चीन का नाम लेकर भारत ने दिया बीजिंग को संदेश!

भारत की ओर से चीन के मिसाइल का पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल का जिक्र एक अहम रणनीति का हिस्सा हो सकता है। गौरतलब है कि 10 मई को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी स्टेट काउंसलर वांग यी से बात की थी।

चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया, 'डोभाल ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले में गंभीर हताहत हुए हैं...और भारत को आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। युद्ध भारत की पसंद नहीं है और यह किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।'

इस पर चीन ने भी पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत के इस रूख कि सराहना की थी कि वह युद्ध नहीं चाहता। चीन ने यह भी कहा था कि वह सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करता है। चीन की ओर से कहा गया था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच विचार-विमर्श के माध्यम से एक व्यापक और स्थायी युद्धविराम हासिल करने का समर्थन करता है और उम्मीद करता है। यह दोनों देशों के बुनियादी हितों में है और यही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी आम इच्छा है।'

बहरहाल, इन बातों के बीच सेना द्वारा चीन का नाम लेना जाहिर तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता में बीजिंग की भूमिका के बारे में संकेत देता है। यह चीन के लिए संदेश भी है, क्योंकि ऐसे समय में जब चीन ने कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम लाने में रचनात्मक भूमिका निभाएगा, उसने और पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। बयान में द रेजिस्टेंस फ्रंट गुट का नाम नहीं लिया गया था जिसने शुरू में आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।

 

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