भारत का पहला स्टेल्थ फाइटर जल्द होगा तैयार, रक्षा मंत्री ने 'AMCA प्रोग्राम' को दी हरी झंडी

भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने और घरेलू एयरोस्पेस उद्योग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) कार्यक्रम के क्रियान्वयन मॉडल को मंजूरी दे दी है।

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Photograph: (X (@DefenceMinIndia))

नई दिल्लीः भारत ने अपने पहले स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट– एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के 'एक्जीक्यूशन मॉडल' को मंजूरी दे दी। यह भारत को अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा ऐसा देश बना सकता है, जिसके पास पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान होंगे।

वर्तमान में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (F-22, F-35) और चीन (J-20, J-35) ही ऐसे पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट का संचालन करते हैं। लेकिन चीन जहां पहले ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित कर चुका है, भारत अब तेजी से AMCA परियोजना को आगे बढ़ा रहा है।

क्या है AMCA प्रोजेक्ट?

AMCA भारत की पहली पांचवीं पीढ़ी का ट्विन-इंजन स्टेल्थ मल्टी-रोल फाइटर जेट होगा, जिसे भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों के लिए विकसित किया जाएगा। इसकी डिजाइन में सभी कोणों से स्टेल्थ तकनीक, सुपरक्रूज क्षमता, उन्नत सेंसर फ्यूजन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, और इंटरनल वेपन बे जैसी अत्याधुनिक विशेषताएं होंगी।

यह विमान 25 टन अधिकतम टेकऑफ वजन और 55,000 फीट तक की ऊँचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखेगा। इसका Mk-1 संस्करण अमेरिकी GE F414 इंजन पर आधारित होगा, जबकि Mk-2 के लिए भारत एक शक्तिशाली स्वदेशी इंजन विकसित कर रहा है, जो विदेशी साझेदारी से तैयार किया जाएगा।

परियोजना की लागत और कार्यान्वयन

AMCA परियोजना की शुरुआती लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसका नेतृत्व एरोनॉटिकल डेवेलपमेंट एजेंसी (एडीए) करेगी, जो इसे रणनीतिक औद्योगिक साझेदारियों के जरिए लागू करेगी।

रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना केवल भारतीय कंपनियों द्वारा संचालित की जाएगी- चाहे वे सरकारी हों या निजी, अकेले या संयुक्त उपक्रम के रूप में। जल्द ही एडीडए इन कंपनियों से प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करेगी।

यह फैसला मार्च 2025 में उच्च रक्षा समिति की उस सिफारिश के बाद आया है, जिसमें निजी रक्षा कंपनियों को भी ऐसे उच्च तकनीकी सैन्य कार्यक्रमों में शामिल करने की बात कही गई थी, ताकि एचएएल (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) पर दबाव कम किया जा सके। एचएएल पहले से ही एलसीए तेजस परियोजना में देरी से जूझ रही है, जिसके लिए उसने अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा इंजन की धीमी आपूर्ति को दोषी ठहराया है।

आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के लिहाज से मील का पत्थर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे 'भारतीय एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम' बताया। उन्होंने कहा कि AMCA का प्रोटोटाइप विकसित करना भारत की रक्षा क्षमता को स्वदेशी तकनीक से मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।

भारत की इस परियोजना को एलसीए तेजस की सफलता से प्रेरणा मिली है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सुरक्षा समिति ने इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।

क्यों है यह परियोजना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण?

भारतीय वायुसेना की वर्तमान स्क्वाड्रन संख्या केवल 31 है, जो कि स्वीकृत मानक 42 स्क्वाड्रन से काफी कम है। दूसरी ओर, चीन तेजी से अपनी वायुसेना का विस्तार कर रहा है और पाकिस्तान को भी सैन्य सहायता दे रहा है। ऐसे में AMCA जैसी घरेलू परियोजना भारत को न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी, बल्कि क्षेत्रीय सामरिक संतुलन बनाए रखने में भी निर्णायक भूमिका निभाएगी।

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