नई दिल्लीः भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय को स्वास्थ्य और कानूनी सहायता देने वाली पहली तीन क्लीनिकों को बंद करना पड़ा है। यह कदम तब आया जब अमेरिका ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के तहत दी जाने वाली फंडिंग रोक दी। इस निर्णय से 5,000 से अधिक लाभार्थी प्रभावित हुए हैं।
हैदराबाद में पहली ‘मित्र’ क्लीनिक के बंद होने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी DOGE प्रमुख एलन मस्क ने कहा, “यही था अमेरिकी करदाताओं के पैसे का उपयोग।”
That’s what American tax dollars were funding https://t.co/E4IQSoj9NV
— Elon Musk (@elonmusk) February 28, 2025
कहां-कहां थी क्लीनिकें, और कौन-कौन सी सेवाएं दी जाती थीं?
इन क्लीनिकों में से दो महाराष्ट्र के कल्याण और पुणे में स्थित थीं। ये क्लीनिक ट्रांसजेंडर समुदाय को हार्मोन थेरेपी पर मार्गदर्शन, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, एचआईवी और एसटीआई सहायता, कानूनी सहायता और सामान्य चिकित्सा देखभाल जैसी सेवाएं प्रदान करती थीं।
प्रत्येक क्लीनिक को सालाना लगभग 30 लाख रुपये ($34,338) की जरूरत होती थी और इसमें औसतन आठ कर्मचारी काम करते थे। एक सूत्र के अनुसार, अब सार्वजनिक या निजी स्रोतों से वैकल्पिक वित्तीय सहायता जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
हालांकि, क्लीनिक संचालकों को USAID से कुछ आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिए छूट मिली है। इनमें एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं प्रदान करना शामिल है। एक सूत्र ने बताया कि इन क्लीनिकों में आने वाले कुल मरीजों में से लगभग 10% एचआईवी से संक्रमित हैं।
USAID फंडिंग क्यों बंद हुई?
USAID फंडिंग को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी प्रशासनिक नीति के तहत "सरकारी खर्च में कटौती" अभियान के तहत बंद किया गया है। एलन मस्क के नेतृत्व वाले "डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE)" ने सरकार के आकार को छोटा करने के उद्देश्य से हजारों वैश्विक परियोजनाओं की फंडिंग पर रोक लगा दी है। दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में USAID द्वारा वित्तपोषित एचआईवी कार्यक्रमों की फंडिंग स्थायी रूप से रद्द कर दी गई है।