सीरिया पर विद्रोहियों के कब्जे के बीच भारत ने 75 नागरिकों को निकाला, लेबनान भेजा गया

सीरिया में विद्रोही गुट के कब्जे के बाद भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल भी जारी किया गया है।

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After working for Al-Qaida and Zawahiri, Islamist Julani takes control of Syria (Photo- IANS)

अबू मोहम्मद अल-जुलानी (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत ने सीरिया से अपने 75 नागरिकों को अब तक निकाला है। इनमें जम्मू-कश्मीर के तीर्थयात्री भी शामिल थे। दमिश्क में इस्लामी विद्रोहियों के सत्ता पर कब्जा कर लेने और राष्ट्रपति बशर अल असद के देश छोड़कर भाग जाने के बाद उपजी स्थितियों के बीच इन भारतीय नागरिकों को सीरिया से सुरक्षित निकाला गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और उपलब्ध कमर्शियल उड़ानों से भारत लौट आएंगे।

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि लोगों को निकालने की कोशिश 'उस देश में हाल के घटनाक्रमों के बाद' की जा रही है। बयान में बताया गया है कि 'निकाले गए लोगों में जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन शामिल थे जो सईदा ज़ैनब में फंसे हुए थे। सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और उपलब्ध उड़ानों से भारत लौट आएंगे।'

सीरिया में भारतीय नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर

बयान में आगे कहा गया है कि दमिश्क और बेरूत में भारत के दूतावासों द्वारा यह निकासी 'सीरिया में सुरक्षा स्थिति के हमारे आकलन और भारतीय नागरिकों के अनुरोध' के बाद शुरू की गई थी।'

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है, 'भारत सरकार विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सीरिया में बचे भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे आगे के अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी (hoc.damascus@mea.gov.in) पर संपर्क में रहें। सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेगी।'

सीरिया में क्या हुआ है?

सीरिया में पिछले कई सालों से जारी गृह युद्ध के बीच पिछले कुछ दिनों में हालात तेजी से बदले और राष्ट्रपति असद की सरकार को गिर गई। नवंबर के अंत में सीरिया में घटनाक्रम ने तब चिंता पैदा कर दी थी जब विद्रोही सशस्त्र बलों ने एक-एक करके प्रमुख शहरों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया था। रविवार (8 दिसंबर) को असद सरकार गिर गई। उनकी अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी 1960 के दशक से सत्ता में थी।

साल 2000 से देश पर शासन कर रहे असद को सत्ता विरासत में अपने पिता हाफिज अल-असद से मिली थी। पिता हाफिज अल-असद 1971 से सीरिया की सत्ता पर काबिज थे। बहरहाल, ताजा हालात के बीच असद को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। दरअसल, संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में इस्लामी विद्रोही गुट सीरिया की राजधानी में दाखिल हो गया है।

सीरियाई राज्य टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में विपक्षी लड़ाकों के एक समूह ने कहा कि उन्होंने दमिश्क को 'मुक्त' करा लिया है और 'अत्याचारी अल-असद' को उखाड़ फेंका है। साथ ही यह भी कहा गया कि जेलों में बंद सभी बंदियों को रिहा कर दिया गया है।

एचटीएस का नेतृत्व कर रहे अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने हालांकि अल्पसंख्यकों के डर को शांत करने की कोशिश की है। 29 नवंबर को अलेप्पो पर कब्ज़ा करने के बाद उसने अपने लड़ाकों से कहा था कि पहली प्राथमिकता नागरिकों की संपत्ति और जीवन की रक्षा करना और सुरक्षा स्थापित करना है। साथ ही सभी संप्रदायों के लोगों के डर को शांत करना है।

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