भारत 1000 किमी. से अधिक मारक क्षमता वाले एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का करेगा परीक्षण

भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। चीन के पास एक विशाल रॉकेट बल है, जिसमें लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों के लिए पर्याप्त संख्या में पारंपरिक और गैर-परमाणु मिसाइलें हैं।

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India drdo is going to test anti-ship ballistic missile with a range of more than 1000 km

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत जल्द ही अपनी नई एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है, जो एक हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तक मार कर सकती है। यह मिसाइल दुश्मन के युद्धपोतों या विमानवाहक पोतों को भी निशाना बना सकेगी।

समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई यह मिसाइल अगले कुछ दिनों में परीक्षण के लिए तैयार है। रक्षा सूत्रों ने इसे समुद्र में चल रहे युद्धपोतों या तट से लॉन्च करने की संभावना जताई है।

इस परीक्षण के सफल होने से भारतीय नौसेना को काफी दूर से दुश्मन के जहाजों पर हमला करने की क्षमता मिल जाएगी। मिसाइल की रेंज और सटीकता भारतीय नौसेना की रणनीतिक ताकत को और बढ़ाएगी, जिससे समुद्र में भारत की सुरक्षा निश्चित हो सकेगी।

इसके अलावा इस मिसाइल को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा भी भविष्य में इस्तेमाल किए जाने की संभावना जताई जा रही है। इससे भारतीय सेना को नई ताकत मिलेगी।

नई एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल की खूबियां

टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि इस एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का उद्देश्य भारतीय नौसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाना है ताकि दुश्मनों के बड़े युद्धपोतों और विमानवाहक पोतों के लिए खतरा पैदा किया जा सके।

मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे युद्धपोतों और स्थलीय ठिकानों दोनों से दागा जा सके, जिससे इसकी मारक क्षमता और बढ़ जाएगी। भारत की सेनाएं अपने रक्षा उपकरणों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही हैं, खासकर उन मिसाइलों की, जिनका इस्तेमाल लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने के लिए किया जा सकता है।

इसके अलावा, भारतीय सेना और वायुसेना दोनों ने हाल ही में "प्रलय" बैलिस्टिक मिसाइल का ऑर्डर दिया है, जो छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों के रूप में उनके भंडार को और मजबूत करेगी।

भारत अपने रॉकेट बल को करना चाहता है मजबूत

पिछले कुछ समय में दुनिया भर में चल रहे युद्धों में बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ है, खासकर उन परिस्थितियों में जहां गैर-सरकारी तत्वों द्वारा भी एक ही रात में दुश्मन के ठिकानों पर सैकड़ों मिसाइलें दागी गईं। इस प्रकार की मिसाइलें दीर्घकालिक संघर्षों में सेनाओं को बड़ी मदद करती हैं और उन्हें अपने दुश्मनों के ठिकानों को आसानी से नष्ट करने में सक्षम बनाती हैं।

भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। चीन के पास एक विशाल रॉकेट बल है, जिसमें लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों के लिए पर्याप्त संख्या में पारंपरिक और गैर-परमाणु मिसाइलें हैं। इस कारण भारत भी अपने रॉकेट बल को मजबूत करने पर विचार कर रहा है ताकि सुरक्षा चुनौतियों का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सके।

तीनों सेनाओं - भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने इस बात पर गंभीरता से चर्चा की है कि उन्हें एक बड़ा रॉकेट बल तैयार करना चाहिए, जिसमें लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हों। यह बल उन्हें दुश्मनों के खिलाफ शक्ति प्रदर्शित करने में मदद करेगा और भविष्य में किसी भी प्रकार के संघर्ष में फायदा देगा।

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