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नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को एक बड़ी जीत हासिल करते हुए बांग्लादेश के मोंगला पोर्ट के टर्मिनल का संचालन अधिकार हासिल कर लिया है। चीन भी इस बंदरगाह पर नजर बनाए हुए था, लेकिन भारत ने डील कर ली। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, यह कदम भारत को समुद्र के रास्ते अपना दबदबा बनाने में बड़ी मदद करेगा।
ईरान के चाबाहर और म्यांमार के सित्वे के बाद, बांग्लादेश का मोंगला बंदरगाह भारत के लिए विदेशी बंदरगाह चलाने की तीसरी बड़ी उपलब्धि है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर पूर्वोत्तर के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
हालांकि अधिकार प्राप्त करने की खबरें सामने आई हैं, लेकिन सौदे का विवरण अभी तक सामने नहीं आया है। सौदे पर आधिकारिक बयान का इंतजार है। लेकिन खबरों के मुताबिक मोंगला बंदरगाह के टर्मिनल का संचालन इंडियन पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) करेगी।
भारत की समुद्र में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश
फिलहाल दुनिया के टॉप 10 बंदरगाहों में भारत का कोई भी बंदरगाह शामिल नहीं है, जबकि चीन के छह बंदरगाह इस लिस्ट में हैं। चीन कम से कम 17 भारतीय महासागर के बंदरगाहों में सक्रिय रूप से शामिल है। इनमें से 13 बंदरगाहों के निर्माण में चीन सीधे तौर पर शामिल है।
चीन ने भारतीय महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया है, क्योंकि यह क्षेत्र चीन के समुद्री सिल्क रोड पहल के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर पूर्वी अफ्रीका के जिबूती तक, चीन ने बंदरगाहों में काफी निवेश किया है, जहां भारत अभी भी पीछे है।
चाहबहार और सित्वे में धीमी प्रगति
एक विशेषज्ञ के हवाले से समाचार पोर्टल रिपब्लिक वर्ल्ड ने कहा कि भारत के लिए चाहबहार और सित्वे बंदरगाहों के मामले में पिछले कुछ वर्षों से उतनी प्रगति नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए थी। इसके पीछे राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी कारण हैं। उन्होंने कहा कि भारत की कंपनियों की ईरान और म्यांमार में प्रगति विभिन्न भू-राजनीतिक कारकों के कारण असमान रही है और यही वजह है कि बांग्लादेश के मोंगला ने एक नई उम्मीद जगाई है, जिससे समझौते को तेजी से लागू करने की संभावना है।
भारत का बढ़ता प्रभाव
मोंगला बंदरगाह पर नए समझौते के साथ, भारत का लक्ष्य हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से में प्रमुख समुद्री स्थानों पर अपना प्रभाव बढ़ाना और क्षेत्रीय सुरक्षा में अपनी भूमिका को मजबूत करना है।
पिछले दिनों दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि बांग्लादेश में चटगांव और मोंगला जैसे बंदरगाहों तक पहुंच मिलने से इस क्षेत्र में व्यापार को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला है, खासकर भारत के उत्तर-पूर्व में।
विदेश मंत्री ने कहा था, "अगर आप भौगोलिक दृष्टि से देखें तो मोंगला या चटगांव जैसे बंदरगाह पूर्वोत्तर के लिए प्राकृतिक बंदरगाह होते। लेकिन, राजनीतिक कारणों से उन बंदरगाहों तक हमारी पहुंच नहीं हो सकी। आज, भारत-बांग्लादेश संबंधों में भारी सुधार ने वास्तव में वहां कई और अवसर खोले हैं।"