नई दिल्ली: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हुए दोनों देश मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर आम सहमति पर पहुंच गए हैं। साथ ही डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति बनी है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से मंगलवार को इस बारे में घोषणा की गई। दोनों देशों के आपसी संबंधों में इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्रिटिश समकक्ष प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ फोन पर बातचीत के बाद इसकी घोषणा की। ब्रिटिश प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'अपने मित्र प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर से बात करके बहुत खुशी हुई। एक ऐतिहासिक मील के पत्थर के रूप में, भारत और यूके ने एक महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते के साथ-साथ डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति जताई है।'

एफटीए को 'महत्वाकांक्षी और दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी' बताते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह सौदा दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करेगा और कई क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देगा। उन्होंने आगे लिखा, 'ये ऐतिहासिक समझौते हमारी अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश, विकास, रोजगार सृजन और नवाचार को और बढ़ावा देंगे।' 

पीएम मोदी ने साथ ही स्टार्मर के जल्द भारत आने की संभावना का संकेत देते हुए कहा, 'मैं जल्द ही पीएम स्टार्मर का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।'

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने भी इस समझौते की सराहना करते हुए इसे 'ऐतिहासिक क्षण' बताया। उन्होंने कहा, 'आज ब्रिटेन ने भारत के साथ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर सहमति जताई है। ब्रिटिश व्यवसाय, ब्रिटिश श्रमिकों और ब्रिटिश दुकानदारों के लिए यह शानदार खबर है, जो हमारी बदलाव की योजना को पूरा कर रही है।

क्या है डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन?

आसान भाषा में समझें तो जब कोई व्यक्ति दूसरे देश में काम करने जाता है, तो कई बार उसे दोनों देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, हेल्थकेयर आदि) के लिए योगदान देना पड़ता है। इससे उसकी सैलरी में दो बार कटौती होती है। यह उस कर्मचारी पर एक बोझ की तरह होता है। डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन से कर्मचारियों को इस बोझ से मुक्ति मिलेगी।

डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन के तहत आमतौर पर कर्मचारी को यह चुनने की सुविधा भी मिलती है कि वह किस देश में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा देना चाहते हैं।

भारत का पहले से ही बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, कोरिया और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता (एसएसए) हैं, जहाँ भारतीय कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी के लिए वहां योगदान नहीं करना पड़ता है। इसके बजाय वे (और उनके नियोक्ता) विदेश में सेवा करते समय भारत में ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

क्या है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) या मुक्त व्यापार समझौता?

भारत और ब्रिटेन के बीच समझौते की शर्तों को लेकर बनी सहमति पर और विस्तृत जानकारी अगले कुछ दिनों में सामने आएगी। एफटीए असल में दो देशों के बीच व्यापार को लेकर किया जाने वाला समझौता होता है। इसमें ज्यादातर सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क को कम करने या खत्म करने की कोशिश होती है। इससे दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ व्यापार में फायदा मिलने की उम्मीद रहती है।

माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच इस पहले बड़े व्यापार समझौते से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इससे 2030 तक भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 120 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जा सकेगा। भारत और यूके के बीच 2022 में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत शुरू हुई थी। नवंबर-2024 में रियो डी जेनेरियो में जी-20 समिट में पीएम मोदी और स्टार्मर के बीच बातचीत के बाद इसमें तेजी आई।