नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की मालदीव की तीन दिनों की यात्रा सुर्खियों में है। यात्रा खत्म हो चुकी है लेकिन इस दौरान जो कुछ हुआ उसकी चर्चा जोरो पर है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र किया। चीन समर्थक रुख रखने वाले मुइज्जू के पिछले साल पदभार संभालने के बाद से यह भारत की ओर से यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा थी।

पिछले साल जनवरी 2023 में यात्रा के बाद जून 2024 में फिर से विदेश मंत्री बनाए जाने के बाद भी जयशंकर की मालदीव की यह पहली आधिकारिक यात्रा रही। 11 अगस्त तक की तीन दिवसीय यात्रा जयशंकर के मालदीव में समकक्ष यानी मालदीव के विदेश मामलों के मंत्री मूसा जमीर के निमंत्रण पर आयोजित हुई थी। एस जयशंकर की इस यात्रा के दौरान मालदीव में यूपीआई से पेमेंट की सुविधा शुरू करने के लिए समझौते पर भी हस्ताक्षर किया गया है।

जयशंकर ने मालदीव के राष्ट्रपति से अपनी मुलाकात की एक तस्वीर के साथ एक्स पर लिखा, 'राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात का सौभाग्य मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दीं। हमारे लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए भारत-मालदीव संबंधों को गहरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।'

मुइज्जू ने भी जयशंकर से मिलने और मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और सीवरेज परियोजनाओं के आधिकारिक हस्तांतरण में उनके साथ शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने मालदीव को हमेशा समर्थन देने के लिए भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया।

मुइज्जू ने एक्स पर पोस्ट किया, 'सुरक्षा, विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग के माध्यम से हमारे देशों को करीब लाते हुए हमारी स्थायी साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। साथ मिलकर हम क्षेत्र के लिए एक उज्जवल, अधिक समृद्ध भविष्य का निर्माण करेंगे।'

मालदीव के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से भी मुलाकात

मुइज्जू के अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने मालदीव के अपने समकक्ष मूसा जमीर से भी मुलाकात की। इसके अलावा मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौनमून से भी उनकी मुलाकात हुई। अपनी यात्रा के दौरान, जयशंकर ने मालदीव में भारतीय प्रवासियों के साथ भी मुलाकात की, जिनकी संख्या वहां लगभग 27,000 है। इनमें से ज्यादातर स्वास्थ्य, शिक्षा और निर्माण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

जयशंकर ने इस दौरान भारत की ओर से मौके-मौके पर मालदीव के लिए की गई मदद का भी जिक्र किया। इसमें 1988 में माले में तख्तापलट के प्रयास के दौरान, 2004 की सुनामी और हाल ही में कोविड-19 के दौरान भारत की ओर से दी गई मदद जैसी बातें शामिल थी। उन्होंने कहा, 'मालदीव सिर्फ एक सामान्य पड़ोसी नहीं है।' उन्होंने आगे भारतीय प्रवासियों से कहा, 'हमारी निकटता, हमारी दोस्ती, हमारे रिश्ते, वे बहुत व्यावहारिक चीजों द्वारा व्यक्त किए गए हैं जो आपने किए हैं।'

भारत-मालदीव के बीच हाल में रिश्ते हुए थे तल्ख

भारत और मालदीव के बीच इसी साल की शुरुआत में मालदीव और लक्षद्वीप में पर्यटन को लेकर तुलना के नाम पर बड़ा विवाद हुआ था। यह विवाद पीएम मोदी की एक तस्वीर पर मालदीव के मंत्रियों की उस पर टिप्पणी के बाद शुरू हुआ था। सोशल मीडिया पर मालदीव में पर्यटन को बायकॉट करने जैसे ट्रेंड चले। इसका असर भी नजर आया था।

बाद में मालदीव सरकार ने मामले को ठंडा करने के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मंत्रियों को निलंबित कर दिया था। मालदीव की ओर से कहा गया कि इस तरह के बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उस समय भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी भारत में मालदीव के हाई कमिश्नर इब्राहिम शाहिब को बुला कर ऐसी टिप्पणी पर गंभीर चिंता जताई थी।

बात यहीं से शुरू नहीं हुई थी। इसके पहले मुइज्जू ने अपने चुनाव अभियान में 'इंडिया आउट' का नारा जोरशोर से उठाया था। साथ ही चुनाव से पहले वाली मालदीव की सरकार पर आरोप लगाए थे कि वह भारत की मर्जी के हिसाब से फैसले लेती है और इससे मालदीव की संप्रभुता और आजादी कमजोर हुई है।

राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू चीन और तुर्की के दौरे पर गए और भारत को नजरअंदाज करने की कोशिश की। जबकि इससे पहले मालदीव के नए राष्ट्रपति अक्सर अपना पहला विदेश दौरा भारत का करते रहे थे।

मालदीव में विपक्षी पार्टियों ने की मुइज्जू की तारीफ

बहरहाल, मुइज्जू के बदले-बदले नजर आ रहे स्टैंड पर मालदीव में विपक्षी पार्टियों ने भी उनकी तारीफ की है। मालदीव में मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार की अपनी भारत नीति में 'बदलाव' का स्वागत किया है। मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने 10 अगस्त को माले में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के बाद यह टिप्पणी की।

एमडीपी अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी 'मुइज्जू सरकार से अपने अधिकारियों के कार्यों, झूठ और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक माफी मांगने को कहती है, जिसकी बदौलत मालदीव को विदेशी और आर्थिक दृष्टिकोण से अहम नुकसान हुए।' उन्होंने कहा, 'मालदीव को हमेशा से भरोसा रहा है कि जब भी मालदीव अंतरराष्ट्रीय 911 डायल करेगा तो भारत से हमेशा सबसे पहले जवाब आएगा।'